बच्चों में बढ़ती मानसिक अस्थिरता: समाज के लिए एक चेतावनी बचाव के लिए करे योग प्राणायाम:- योगाचार्य महेश पाल
बच्चों में बढ़ती मानसिक अस्थिरता: समाज के लिए एक चेतावनी बचाव के लिए करे योग प्राणायाम:- योगाचार्य महेश पाल
आज का दौर तेज़ प्रतिस्पर्धा और तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता का है। इसका सबसे अधिक असर हमारे बच्चों पर पड़ रहा है। योगाचार्य महेश पाल बताते हैं कि बच्चों का बचपन, जो मासूमियत और खुशियों से भरा होना चाहिए, आज चिंता, तनाव और मानसिक अस्थिरता की चपेट में आ रहा है। यह केवल परिवार की समस्या नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र के भविष्य के लिए गंभीर चुनौती है। बढ़ती मानसिक अस्थिरता के कारण बच्चों के जीवन में सबसे बड़ा दबाव पढ़ाई और अंक लाने की होड़ का भी है। प्रतियोगी माहौल ने उनके बचपन को बोझिल बना दिया है। वहीं, मोबाइल और सोशल मीडिया की लत ने उन्हें एकाकी और अस्थिर बना दिया है। घर का तनावपूर्ण वातावरण, माता-पिता की अत्यधिक अपेक्षाएँ और साथियों का दबाव भी बच्चों की मानसिक स्थिति को बिगाड़ रहे हैं। बच्चों में बढ़ती मानसिक अस्थिरता की चेतावनी देने वाले लक्षण जिसमें बच्चों का चिड़चिड़ा स्वभाव, पढ़ाई में अरुचि, नींद की गड़बड़ी,आत्मविश्वास में कमी और उदासी जैसी स्थितियाँ इस ओर संकेत करती हैं कि उनका मानसिक स्वास्थ्य खतरे में है। अक्सर माता-पिता इन संकेतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जिससे समस्या और गहरी हो जाती है।समय की मांग है कि परिवार और विद्यालय मिलकर बच्चों के लिए तनावमुक्त वातावरण तैयार करें। बच्चों से संवाद बढ़ाना, उनके साथ समय बिताना, और उनकी भावनाओं को समझना बेहद ज़रूरी है। योग, प्राणायाम और ध्यान जैसी भारतीय परंपराएँ बच्चों को मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करने में सक्षम हैं इसे बच्चों को जोड़ना चाहिए, मोबाइल और टीवी पर अंकुश लगाना और आवश्यक होने पर विशेषज्ञ परामर्श लेना भी लाभकारी सिद्ध होगा। योग प्राणायाम मानसिक स्वास्थ्य का उपाय है और बच्चों को मानसिक अस्थिरता से बचाने का एक सरल और प्रभावी तरीका है अनुलोम-विलोम: यह प्राणायाम बच्चों की एकाग्रता, स्मरण शक्ति और धैर्य को बढ़ाता है। भ्रामरी प्राणायाम: यह तनाव, चिड़चिड़ापन और गुस्से को कम करता है, मन को शांत करता है सूर्य नमस्कार: शरीर और मन दोनों को सक्रिय रखकर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।ध्यान(Meditation) बच्चों को आत्म-नियंत्रण और आत्मविश्वास सिखाता है। योग करने से ओर अन्य लाभ भी मिलते हैं जिसमें तनाव और चिंता से राहत, एकाग्रता और स्मृति में वृद्धि, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का विकास, नींद में सुधार और मानसिक शांति बच्चों की मानसिक अस्थिरता एक गंभीर समस्या है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। दवाओं या परामर्श से अधिक प्रभावी और सुरक्षित उपाय है – योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास। माता-पिता और शिक्षक यदि बच्चों को प्रतिदिन 20–30 मिनट योग और प्राणायाम का अभ्यास कराएं, तो आने वाली पीढ़ी न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होगी बल्कि मानसिक रूप से भी संतुलित और सक्षम बनेगी, बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य केवल उनके भविष्य का नहीं, बल्कि समाज और देश की प्रगति का प्रश्न है। यदि हम आज बच्चों की भावनाओं को समझकर उनके लिए सहयोगी माहौल तैयार नहीं करते, तो आने वाले कल में हमें असंतुलित और असुरक्षित पीढ़ी का सामना करना पड़ सकता है। यह समय है कि हम चेतें और बच्चों के लिए स्वस्थ, सुरक्षित और संतुलित जीवन का वातावरण सुनिश्चित करें।




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