भारतवर्ष की सामाजिक एकता का प्रतीक है गणेशोत्सव- कैलाश मंथन
भारतवर्ष की सामाजिक एकता का प्रतीक है गणेशोत्सव- कैलाश मंथन
गणतंत्र के प्रथम नायक है श्रीगणेश - कैलाश मंथन
विधि-विधान से हुई श्रीगणेशजी की स्थापना, शहर में 250 से अधिक स्थानों पर विराजे गणपति बप्पा
गुना। श्री गणेशोत्सव हमारी सामाजिक एकता का प्रतीक है। प्राचीनकाल से ही देवाधिदेव श्रीगणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया है। श्री गणपति अर्थात गणतंत्र के प्रथम पूज्य देव। चतुर्थी से लेकर डोल ग्यारस, अनंत चौदस तक संपूर्ण देश में धार्मिक सामाजिक एकता के दर्शन होते हैं। ’संघे शक्ति कलियुगे’ गणेशोत्सव भारतीय गणतंत्र का प्रतिनिधि उत्सव है। उक्त विचार विराट हिन्दू उत्सव समिति, चिंतन मंच के तहत चिंतन हाउस में श्री गणेशजी की मृत्तिका की प्रतिमा स्थापना के अवसर पर हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने व्यक्त किए। श्री मंथन ने कहा भारतीय संस्कृति सनातन धर्म में सर्वप्रथम पूज्यनीय देवता हैं श्री गणाधिपति गणेश। हिन्दू धर्म में बगैर श्री गणेश जी की सर्वप्रथम पूजा के बिना कोई भी कार्य की सिद्धि होना असंभव है। श्रीगणेश की कृपा से ही रिद्धि सिद्धि एवं शुभ लाभ की प्राप्ति होती है। कैलाश मंथन ने कहा कि आदिकाल से ही श्री गणेशोत्सव सामाजिक समरसता, एकता, संगठन शक्ति का प्रतीक रहा है। मुगल एवं अंग्रेजी शासन काल में लुप्त प्राय: हो गई गणेशोत्सव की परंपरा का पुनर्जागरण महाराष्ट्र प्रांत से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने करवाया। बाद में गणेशोत्सव राष्ट्रीय स्वाधीनता का प्रमुख आंदोलन बन गया।
श्री मंथन ने कहा कि भगवान श्रीगणपति की कृपा से ही श्रेष्ठ बुद्धि, बल एवं वाणी व लेखनी की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी एवं देवी सरस्वती भी तभी प्रसन्न होती हैं जब श्रीगणेश जी की ही सर्वप्रथम पूजा की जाए। श्रीगणेश जी ही भारत गणतंत्र के सर्वप्रथम गणाधिपति हैं। इसलिए श्रीगणेश को गणपति कहा गया है। पंच देवताओं में सर्वप्रथम पूज्यनीय श्रीगणेश जी हैं। शिव, शक्ति, विष्णु एवं सूर्य देवता एवं श्रीगणेश में जो एकता समभाव देखता है वही सच्ची पूजा है। चिंतन हाउस, सदर बाजार में शुभ मुर्हुत मध्यान्ह काल में मृत्तिका के श्रीगणेशजी की स्थापना की गई। इस अवसर पर गाणपत्य संप्रदाय के प्रमुख ग्रंथ गणेश गीता का पाठ एवं बौद्धिक कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विवेक किशोर गर्ग ने किया। इस अवसर पर रामभरोसे देवलिया, सूरज पंत, गजेन्द्र श्रीवास्तव, अनुराग श्रीवास्तव, रामकृष्ण गर्ग, गिर्राज किशोर अग्रवाल, श्रीमती आरती अग्रवाल, पूर्णिमा बंसल, कमलादेवी, दिव्यांश सहित अनेकों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
डोल ग्यारस पर होगा ऐतिहासिक कार्यक्रम
डोल ग्यारस पर 6 अगस्त को परम्परानुसार मंदिरों के श्रीगणेशजी के विमानों का भव्य स्वागत शहर के प्रमुख मार्गों पर किया जाएगा। इस दौरान अंचल के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जिला मुख्यालय पर एकत्रित होने की संभावना है। इस दौरान पीने का पानी, साफ-सफाई एवं रोशनी के व्यापक इंतजाम नगरपालिका एवं प्रशासन से करने का अनुरोध हिउस ने किया है। हिउस प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक इस वर्ष डोल ग्यारस के अवसर पर ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
डोल ग्यारस पर होगा विमानों का भव्य स्वागत
इस दौरान बुधवार को गणेश चतुर्थी का पर्व उत्साह से मनाया गया। वहीं 1 सितंबर को ऋषि पंचमी, 4 सितंबर को राधाष्टमी, 6 को डोल ग्यारस, 7 को वामन द्वादशी, 9 सितंबर को अनंत चौदह पर विभिन्न कार्यक्रम होंगे। विराट हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि डोल ग्यारस पर 6 सितंबर को परम्परानुसार एक सैकड़ा से अधिक मंदिरों के फूलडोल विमानों का भव्य स्वागत शहर के प्रमुख मार्गों पर किया जायेगा। सभी मंदिरों के विमान एवं अखाड़े स्थानीय गल्ला मंडी में एकत्रित होने के पश्चात दोपहर 4 बजे के पश्चात हाट रोड, सदर बाजार होते हुए विसर्जन के लिये भुजरिया तालाब एवं अन्य पानी के स्त्रोतों पर पहुंचेंंगे।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय का 12 करोड़ जाप पूर्ण
डोल ग्यारस से नाम जप अभियान का 5 वां दौर प्रारंभ होगा। विराट हिन्दू उत्सव समिति, अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद् भगवद् गीता प्रचार अभियान के तहत देश के 13 राज्यों में नारी शक्ति चिंतन मंच के तहत ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: का सामूहिक एवं घर-घर नाम जप अभियान का शुभारंभ किया जाएगा। कार्यक्रम संयोजक कैलाश मंथन के मुताबिक नाम जप अभियान में विभिन्न राज्यों के प्रमुख 500 महिलाएं नाम जप अभियान की पूर्णता प्रदान करने में अपना योगदान दे रही हैं।




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