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14 नवंबर विश्व मधुमेह दिवस ही नहीं,बल्कि बाल दिवस भी है, बच्चों को सिखाना चाहिए कि स्वास्थ्य की नींव संयम और अनुशासन से बनती है:- योगाचार्य महेश पाल

14 नवंबर विश्व मधुमेह दिवस ही नहीं,बल्कि बाल दिवस भी है, बच्चों को सिखाना चाहिए कि स्वास्थ्य की नींव संयम और अनुशासन से बनती है:- योगाचार्य महेश पाल


हर वर्ष 14 नवम्बर को विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) मनाया जाता है। योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि यह दिवस इस बार ''मधुमेह और कल्याण" थीम  पर आधारित है, प्रथम बार मधुमेह दिवस अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ (IDF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मनाना शुरू किया गया था 14 नवंबर 2025 को 35 विश्व मधुरा दिवस मनाया जा रहा है, यह दिन लोगों में मधुमेह (Diabetes) के बढ़ते खतरे के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है।संजोग से यही दिन बाल दिवस (Children’s Day) के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसे में यह अवसर दोहरा संदेश देता है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ (IDF) के अनुसार, मधुमेह आज विश्वभर में एक गंभीर जीवनशैली जनित रोग बन चुका है। भारत में तो इसे “डायबिटीज की राजधानी” तक कहा जाने लगा है, क्योंकि यहां हर वर्ष करोड़ों लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं।आज के समय में मधुमेह केवल वृद्धों की बीमारी नहीं रह गई, बल्कि युवाओं और बच्चों तक पहुँच रही है। आधुनिक जीवनशैली, फास्ट फूड, तनाव, मोबाइल पर अत्यधिक समय बिताना और शारीरिक गतिविधि का अभाव – यह सब मधुमेह के बढ़ते मामलों के पीछे प्रमुख कारण हैं।14 नवंबर केवल विश्व मधुमेह दिवस नहीं, बल्कि बाल दिवस भी है। इस दिन हमें बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि स्वास्थ्य की नींव संयम और अनुशासन से बनती है। जंक फूड की जगह घर का सादा भोजन, फल-सब्जियाँ अपनाएं। रोज़ाना कम से कम 30 मिनट योग और खेल-कूद के लिए निकालें।मोबाइल और टीवी से दूरी, और प्रकृति से निकटता बढ़ाएं। बच्चे ही राष्ट्र का भविष्य हैं। यदि वे आज से योग, प्राणायाम और संतुलित आहार की आदत डालेंगे तो आने वाली पीढ़ी को मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाया जा सकेगा। मधुमेह एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर इंसुलिन हार्मोन का पर्याप्त निर्माण नहीं कर पाता या उसका सही उपयोग नहीं करता। इसके परिणामस्वरूप रक्त में शुगर (ग्लूकोज़) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंग — जैसे आँखें, गुर्दे, हृदय और नसें —प्रभावित होती हैं।  मधुमेह दो प्रकार का होता है:1. टाइप-1 डायबिटीज – इसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है।2. टाइप-2 डायबिटीज – इसमें शरीर इंसुलिन का उपयोग ठीक से नहीं कर पाता। असंतुलित आहार, तनाव, शारीरिक निष्क्रियता, नींद की कमी और मानसिक दबाव जैसी आदतें मधुमेह के प्रमुख कारण हैं। इसलिए इसे लाइफस्टाइल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा का संतुलन है। योगाभ्यास से तनाव कम होता है, अग्न्याशय की क्रियाशीलता बढ़ती है, और इंसुलिन स्राव में सुधार होता है। मधुमेह नियंत्रण हेतु प्रमुख योगासन  सूर्य नमस्कार – सम्पूर्ण शरीर को सक्रिय रखता है और मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है। अर्धमत्स्येन्द्रासन – अग्न्याशय को सक्रिय कर इंसुलिन के स्राव को संतुलित करता है।धनुरासन – पेट के अंगों पर अच्छा प्रभाव डालता है और ब्लड शुगर कम करने में सहायक है। पवनमुक्तासन – पाचन सुधारता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालता है। मंडूकासन – यह विशेष रूप से मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी माना गया है। वज्रासन – भोजन के बाद इसका अभ्यास पाचन सुधारता है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी प्राणायाम मानसिक तनाव घटाकर हार्मोनल संतुलन बनाए रखते हैं। ध्यान (Meditation) मन को शांत कर कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को घटाता है, जिससे ब्लड शुगर स्थिर रहता है।  योग के साथ आहार अनुशासन पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए जिसमें साबुत अनाज, हरी सब्जियाँ, फल, और फाइबरयुक्त भोजन का सेवन करें। चीनी और जंक फूड से बचें। समय पर भोजन और पर्याप्त नींद का पालन करें। मधुमेह से बचाव और नियंत्रण के लिए योग एक सुरक्षित, सस्ता और स्थायी उपाय है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। इस विश्व मधुमेह दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम योग और संतुलित जीवनशैली को अपनाकर इस बढ़ते रोग से न केवल स्वयं को बल्कि समाज को भी स्वस्थ बना सकते हैं।

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