प्राचीन गुफाओं तक पहुंच मार्ग का डामरीकरणकिया जाएं- कैलाश मंथन
गुना। मालपुर संक्रांति महोत्सव के तहत 17 जनवरी को अखंड रामायण की पूर्णाहूति एवं भंडारा संपन्न होगा। इसके पूर्व 14 एवं 15 जनवरी को दो दिन संक्रांति का पर्व मनाने केदारनाथ एवं मालपुर की गुफाओं पर भारी भीड़ पहुंची। इस मौके पर शहर से 3 किमी दूर दक्षिण में स्थित मालपुर की पहाडिय़ों पर करीब 150 गुफाओं एवं प्राचीन धार्मिक स्थल केदारनाथ को पर्यटन स्थल बनाए जाने की मांग जिला पुरातत्व संघ के सदस्य एवं विराट हिन्दू उत्सव समिति के प्रमुख कैलाश मंथन ने की है। मकर संक्रांति पर आयोजित मेले के दौरान सिद्धेश्वर महादेव मंदिर गुफा परिसर में भक्ति संगती की स्वर लहरियों के बीच श्रद्धालुओं ने दो दिवसीय मकर संक्रांति महोत्सव का आनंद लिया। हिउस संस्थापक कैलाश मंथन ने मालपुर गुफाओं पर आयोजित बौद्धिक सभा में भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि मालपुर, केदारनाथ, बीस भुजा भवानी, बजरंगगढ़ गुना जिले अति प्राचीन सिद्ध स्थलों पर लाखों श्रद्धालु यात्रा करने पहुंचते हैं। शिवरात्रि, नवरात्रि के दौरान दस लाख से अधिक यात्री इन स्थलों पर मत्था टेकने पहुंचते हैं। लेकिन सुविधाओं का अभाव होने से यात्रियों को भारी कष्ट होता है। संक्रांति पर्व पर श्री मंथन ने कहा प्राचीन स्थल गुना जिले की विरासत का एक अंग है इसकी सुरक्षा पुरातत्व विभाग एवं प्रदेश सरकार प्रशासन को करना चाहिए।
हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने कहा धार्मिक सिद्ध स्थलों पर लगने वाले मेले सनातन धर्म की सांस्कृतिक विरासत, एकता, अखंडता प्रदर्शित करते हैं। प्राचीन धर्म स्थलों को सुरक्षित रखना संपूर्ण समाज का कर्तव्य है।
उल्लेखनीय है कि अंचल में मकर संक्रांति का पर्वी स्नान 15 जनवरी को श्रद्धा के साथ हुआ। जबकि 14 जनवरी को भी संक्रांति मनाई गई। लेकिन 15 जनवरी को ही प्राचीन स्थलों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शनों को पहुंचे। विराट हिन्दू उत्सव समिति के तहत कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए प्राचीन धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों पर अनुष्ठान, संकीर्तन एवं सत्संग सभाओं का आयोजन हुआ। शहर के निकट मालपुर गुफाओं पर स्थित कुंड में श्रद्धालुओं ने पर्वी स्नान का आनंद लिया एवं गुफा में विराजमान सिद्धेश्वर महादेव के दर्शन लाभ कर मेले का लुत्फ उठाया। विराट हिउस अध्यक्ष कैलाश मंथन ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि पर्व और उत्सव भारतीय संस्कृति के प्रमुख अंग हैं। इस आदिकालीन विरासत से सामाजिक, धार्मिक एवं राष्ट्रीय एकता मजबूत होती है। अनेकता में एकता का बोध होता है। धर्म एवं संस्कृति के प्रति श्रद्धा, भक्ति का भाव जाग्रत होता है। सूर्य जिस राशि पर स्थित हो उसे छोड़कर जब दूसरी राशि में प्रवेश करे उस समय का नाम संक्रांति है। अंचल के अनेकों धार्मिक स्थलों पर हिउस के तहत कार्यक्रम आयोजित हुए।
केदारनाथ धाम में जुटे सैकड़ों श्रद्धालु
शहर से 40 किमी दूर केदारनाथ धाम के प्राकृतिक कुंड एवं झरनों में मकर संक्रांति पर्व का स्नान करने अंचल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे एवं भोलेनाथ का अभिषेक किया। इस मौके पर दूरदराज क्षेत्रों एवं अनेकों जिलों से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शनार्थ मय परिवार के साथ पहुंचे। ध्यान रहे इस वर्ष पांचांग के अनुसार 14 एवं 15 जनवरी को मकर संक्रांति महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर हिउस प्रमुख श्री मंथन ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए समग्र समाज को विशेष सावधानी रखते हुए कोरोना गाईडलाईन का पालन किया जाए। भारतीय संस्कृति में परंपराओं का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति भारत की धार्मिक आस्था का पर्व है। उल्लेखनीय है कि मकर संक्रांति के तहत 17 जनवरी तक विशेष धार्मिक अनुष्ठान एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।



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