प्रियांशु पेन्युली और श्रेया धनवंतरी ने अनपॉज़्ड: नया सफ़र के बारे में बात करते हुए कहा,"हमारी फिल्म वर्क-फ्रॉम-होम कल्चर पर एक रियलिस्टिक टेक ऑफर करती है।
आशा और सकारात्मकता की कहानियों को लाते हुए, अमेज़न प्राइम वीडियो पर अब अपने हिंदी एंथोलॉजी अनपॉज्ड: नया सफर स्ट्रीम कर रहा है। पहले वर्शन की सफलता के बाद, अनपॉज्ड, हिंदी एंथोलॉजी की अगली कड़ी में पांच हिंदी शॉर्ट फिल्में हैं, जिनका शीर्षक तीन तिगाड़ा, द कपल, गोंद के लड्डू, वॉर रूम और वैकुंठ है जिनमें से प्रत्येक उन चुनौतियों में विशिष्ट रूप से तल्लीन करती है जो महामारी के कारण उन्हें देखनी पड़ी, लेकिन यहाँ एक सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है। अनपॉज़्ड: नया सफ़र में कलाकारों और निर्देशकों का एक उदार मिश्रण है जो दिल को छू लेने वाली और संबंधित कहानियों को लाने के लिए एक साथ आये है और यह सीरीज़ आलोचकों व दर्शकों से समान रूप से समीक्षा प्राप्त कर रही है।
*अभिनेता प्रियांशु पेन्युली, जो नुपुर अस्थाना की द कपल में नज़र आ रहे हैं, उन्होंने फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा,* "हमारी फिल्म 'द कपल' इस बात पर बहुत ही रियलिस्टिक है कि युवा, मिलेनिअल कपल कैसे महामारी और घर से काम करने की संस्कृति से डील कर रहे हैं। श्रेया धनवंतरी, मेरी सह-कलाकार और हमारी निर्देशक नुपुर अस्थाना के साथ काम करना सच में एक सुखद अनुभव था। हम सभी ने एक दिल को छू लेने वाली फिल्म बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है जो 240 देशों और क्षेत्रों के दर्शकों के साथ सही तालमेल बिठाएगी। ”
*द कपल के साथ अपने असोसिएशन के बारे में बात करते हुए, श्रेया धनवंतरी ने कहा,* "जब से मैंने ओरिजिनल सीरीज़ मुंबई डायरीज़ 26/11 में काम किया है, तब से मैं अमेज़न प्राइम वीडियो से जुड़ी हुई हूँ, इसलिए अनपॉज़्ड: नया सफर के साथ, यह मेरे लिए घर वापसी जैसा है। द कपल का हिस्सा बनकर खुश और उत्साहित हूं जो एक आधुनिक युग के जोड़े पर केंद्रित है और अचानक नौकरी छूटने पर उनका जीवन कैसे बदल जाता है। न केवल हमारी फिल्म, बल्कि मुझे यकीन है कि एंथोलॉजी की सभी फिल्में आपको सोचने पर मजबूर कर देगी और आपको जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को संजोने के लिए प्रोत्साहित करेगी।"
"अनपॉज्ड: नया सफर" पांच अनूठी कहानियों को प्रदर्शित करता है जो आशा, सकारात्मकता और नई शुरुआत के बारे में है, जिस वजह से हम जीवन और भावनाओं को पहले से कहीं अधिक महत्व देते हैं। प्रेम, लालसा, भय और दोस्ती जैसी कच्ची मानवीय भावनाओं के शब्दचित्र - शिखा माकन (गोंद के लड्डू), रुचिर अरुण (तीन तिगाड़ा), नुपुर अस्थाना (द कपल), अयप्पा केएम (वॉर रूम) और नागराज मंजुले (वैकुंठ) जैसे फिल्म निर्माताओं द्वारा संवेदनशील रूप से जीवंत की गई हैं।



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