हिन्दी साहित्य भारती के महाकुम्भ में ज्ञान स्नान
हिन्दी साहित्य भारती के महाकुम्भ में ज्ञान स्नान
झांसी-अंतरराष्ट्रीय संस्था हिंदी साहित्य भारती की दो दिवसीय बैठक वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की ऐतिहासिक राजधानी झांसी में आयोजित की गई। गरिमामय कार्यक्रम पं दीनदयाल सभागार किला रोड झाँसी में प्रातः, माँ वीणापाणि की वंदना के साथ प्रारम्भ हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी साहित्य भारती के केंद्रीय अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ श्री रवींद्र शुक्ल जी पूर्व शिक्षा एवं कृषिमंत्री उत्तर प्रदेश के द्वारा की गई। मुख्य अतिथि मा. ब्रजेश पाठक जी उपमुख्यमंत्री उ.प्र. सरकार द्वारा तरङ्ग संचार माध्यम से अपना संदेश व शुभकामनाएं सम्प्रेषित की गई। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ श्री शास्वतानन्द जी गिरि महामंडलेश्वर निरंजनी अखाड़ा, महामहिम प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी जी पूर्व राज्यपाल, महामहिम श्री शेखर दत्त जी पूर्व राज्यपाल छत्तीसगढ़, श्री जे. नंदकुमार राष्ट्रीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह, डॉ. मुकेश पांडे जी कुलपति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी, प्रोफ़ेसर संजय द्विवेदी महानिदेशक जनसंचार संस्थान भारत सरकार नई दिल्ली ने अपने प्रेरक अनुकरणीय उद्गार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ रमा सिंह, गुना व दुबई से पधारी डॉ. अचला द्वारा किया गया।
गरिमामय कार्यक्रम में गुना से श्री दिनेश बिरथरे अध्यक्ष मध्य भारत प्रान्त व श्री व्ही. पी.सिंह, श्री लखन शास्त्री सम्मलित हुए। डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, उत्तराखंड द्वारा आभार व्यक्त किया गया। उद्घाटन सत्र के उपरांत हिन्दी साहित्य भारती के सभी सदस्यों/पदाधिकारियों द्वारा राम-लक्ष्मण की परंपरा के वाहक राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त और उनके अनुज सियारामशरण गुप्त की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई जहाँ हिंदी साहित्य भारती के सभी पदाधिकारियों का साहित्य सदन परिवार द्वारा अभिनंदन किया गया। तत्पश्चात झांसी के ऐतिहासिक किले का भ्रमण किया गया। शेष कार्यक्रम मार्बलस होटल उन्नाव बालाजी मार्ग झांसी पर संपन्न हुए, जिनमें पिछली कार्यवाही की पुष्टि, संगठन का विधान, उद्देश्य और हमारी भूमिका, संचार माध्यमों का उपयोग, सांस्कृतिक कार्यक्रम व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
अगले दिन वित्तीय प्रबंधन, संगठन विस्तार, सुझाव एवं परिचर्चा, वार्षिक कार्यक्रमों की रूपरेखा, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रस्ताव व भारत के अंग्रेजी नाम 'इंडिया' को हटाने का प्रस्ताव सर्व सम्मति से , ध्वनि मत से पारित हुआ। दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मान. अजय भट्ट रक्षा राज्य मंत्री भारत सरकार ने उपस्थित होकर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। विषय प्रवर्तन पद्मश्री विष्णु पांड्या, निदेशक साहित्य अकादमी, गुजरात ने किया।
भारत के अहिन्दी भाषी राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु, असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, गोवा आदि राज्यों के प्रतिनिधि शत प्रतिशत सम्मलित हुए, वहीं हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के प्रस्ताव पर अहिन्दी भाषी राज्यों व विदेश से आये प्रतिनिधियो ने प्रस्ताव के पक्ष में बहुत ही उत्प्रेरक व सार्थक समीक्षाए प्रस्तुत की, जिन्हें श्रवण कर हिन्दी भाषी राज्यों के प्रतिनिधि अचंभित थे।
10 सत्रीय कार्यक्रम में संचालक सहित मुख्यअतिथि व विशिष्ट अतिथि अलग अलग रहे, तथा विषय के प्रवर्तक के रूप में विषय के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया।
देश के प्रत्येक प्रदेश तथा विदेश से आये वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपने उद्बोधन में अपने अनुभव साझा करते हुए अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के दौरान कुछ भावुक पल भी उपस्थित हुए। केंद्रीय अध्यक्ष महोदय ने मंच से घोषणा की कि मेरी मृत्यु के पश्चात हिन्दी साहित्य भारती में विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर यह संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा हस्तगत की जा सकेगी। ऐसा हिन्दी साहित्य भारती के संविधान में विधिवत नियम बनाया गया है।
विधानसभा में मार्शल जैसे सम्मानित पद पर पदस्थ रहते हुए, लखनऊ से पधारी डॉ सफलता द्वारा मंच से अपनी शासकीय सेवा को ठुकराते हुए आजीवन हिन्दी साहित्य भारती की सेवा का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम की व्यवस्थाएँ अत्यंत उत्कृष्ट कोटि की रही, जिसका श्रेय आदरणीय डॉ रवीन्द्र शुक्ल जी के प्रबंधन कौशल को जाता है। ऐसे कार्यक्रम अनवरत होते रहें जिससे हिन्दी साहित्य भारती अपने लक्ष्य तक पहुंच सके।
नगर संवाददाता: अभिनय मोरे




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