गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की उठी मांग
आज पूर्णिमा को होगी गीता प्रचार पखवाड़े की पूर्णाहूति
मृत्यु का भय दूर करती है श्रीमद्भगवद्गीता : कैलाश मंथन
गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की उठी मांग
गुना। अंचल में गीता जयंती के अंतर्गत गुरुवार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर नि:शुल्क गीता वितरण के साथ गीता प्रचार पखवाड़े की पूर्णाहूति होगी। मध्य भारत अंचल में गीता जयंती के अवसर पर श्रीमद्भगवद्गीता का व्यापक स्तर पर नि:शुल्क वितरण किया जा रहा है। अब तक सवा लाख से अधिक परिवारों तक गीता की प्रतियां पहुंच चुकी हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नि:शुल्क गीता प्रचार मिशन, अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद मप्र, विराट हिन्दू उत्सव समिति एवं चिंतन मंच के संयुक्त तत्वावधान में मोक्षदा एकादशी से गीता जयंती तक गीता पाठ, स्वाध्याय, बौद्धिक वार्ता एवं नि:शुल्क वितरण जैसे विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग को लेकर देश के 13 प्रांतों में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। यह अभियान गुना मुख्यालय से प्रारंभ होकर विभिन्न राज्यों में संचालित होगा।
गुना में मिशन के संस्थापक कैलाश मंथन ने संतों की उपस्थिति में गीता प्रचार के 38वें दौर का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि “गीता हमारी संस्कृति और धर्म का आधार है। जब तक घर-घर गीता का प्रचार नहीं होगा, सनातन धर्म में जागृति संभव नहीं है।" उन्होंने बताया कि प्रदेश के प्रमुख धार्मिक केंद्रों एवं मंदिरों में 1 दिसंबर को विशेष मनोरथ एवं सत्संग के कार्यक्रम आयोजित हुए, साथ ही 18 कृष्ण मंदिरों में गीता पाठ और संकीर्तन के आयोजन की पूर्णाहूति भी की जाएगी।
अंचल में अब तक 38 हजार प्रतियां नि:शुल्क वितरित की जा चुकी हैं। श्री मंथन के अनुसार, श्रीमद्भगवद्गीता मानवाधिकारों की सबसे सशक्त व्याख्या प्रस्तुत करती है। इसके विचार मानव धर्म की ज्योति प्रज्वलित करते हैं और समस्त मानवजाति के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं। इसी कारण चिंतन मंच ने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की मांग पुन: दोहराई है।




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