राष्ट्रीय एकता दिवस : सरदार पटेल की अदम्य भावना और ‘एक भारत’ का संकल्प
राष्ट्रीय एकता दिवस : सरदार पटेल की अदम्य भावना और ‘एक भारत’ का संकल्प
– योगाचार्य महेश पाल
गुना। देशभर में 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जा रहा है। यह दिवस भारत के लौह पुरुष और राष्ट्रीय एकता के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर वर्ष 2014 से मनाया जा रहा है। इस वर्ष 31 अक्टूबर 2025 को जहां सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाई जा रही है, वहीं यह 14वां राष्ट्रीय एकता दिवस भी होगा।
योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि भारत विविधताओं से भरा देश है — यहाँ भाषा, धर्म, संस्कृति और परंपराओं में भिन्नता होने के बावजूद एक भाव समान है, और वह है राष्ट्र की एकता का भाव। यही भावना भारत की आत्मा है। इस एकता को सशक्त करने और उसके रक्षक रहे सरदार पटेल की स्मृति में यह दिवस पूरे देश में मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य देश की अखंडता, सुरक्षा और एकजुटता के महत्व को दोहराना है।
योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत में विलय कर राजनीतिक एकीकरण का जो कार्य किया, वह अभूतपूर्व था। हैदराबाद, जूनागढ़ सहित कई रियासतों को उन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति, संवाद कौशल और दूरदर्शिता से शांतिपूर्ण तरीके से भारत का हिस्सा बनाया। इसी योगदान के कारण उन्हें “भारत का लौह पुरुष” कहा गया।
उन्होंने बताया कि 31 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के केवड़िया में 182 मीटर ऊँची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन किया गया, जो विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है। यह स्मारक सरदार पटेल के साहस, नेतृत्व और देशभक्ति का जीवंत प्रतीक है तथा आने वाली पीढ़ियों को संदेश देता है कि “एकता से ही राष्ट्र की शक्ति जन्म लेती है।”
इस अवसर पर देशभर में “रन फॉर यूनिटी”, एकता प्रतिज्ञा, निबंध, भाषण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और चित्रकला प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। विद्यालयों, महाविद्यालयों, सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों में नागरिकों को राष्ट्र की एकता और अखंडता के प्रति संकल्पित किया जाता है।
योगाचार्य महेश पाल ने कहा कि आज के डिजिटल युग में राष्ट्रीय एकता का अर्थ केवल सीमाओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि विचारों और भावनाओं की एकता भी उतनी ही आवश्यक है। हमारे समाज की विविधता हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत है।
उन्होंने कहा — “हमारी विविधता ही हमारी पहचान है; जब तक हम एक साथ हैं, कोई भी शक्ति हमें विभाजित नहीं कर सकती।”
सरदार पटेल ने यह सिखाया कि सच्चा नेतृत्व नारेबाजी से नहीं, बल्कि कर्तव्य, अनुशासन और समर्पण से बनता है। युवाओं को उनके जीवन से यह सीख लेनी चाहिए कि राष्ट्रीय हित हमेशा व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर होता है।
अंत में योगाचार्य पाल ने कहा —
> “एकता, सेवा और राष्ट्रभक्ति के भाव से ही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का निर्माण संभव है। जब हर नागरिक यह भाव अपनाए कि मैं भारत हूं और भारत मुझमें है, तभी सच्चे अर्थों में सरदार पटेल के सपनों का भारत साकार होगा।”




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