शिक्षक वह दीपक है,जो खुद जलकर अज्ञानता का अंधकार दूर कर समाज को ज्ञान की रोशनी से आलोकित करता है :- योगाचार्य महेश पाल
शिक्षक वह दीपक है,जो खुद जलकर अज्ञानता का अंधकार दूर कर समाज को ज्ञान की रोशनी से आलोकित करता है :- योगाचार्य महेश पाल
भारत में शिक्षक दिवस का महत्व प्राचीन काल से रहा है। गुरुकुल प्रणाली में गुरु को माता-पिता से भी ऊँचा स्थान दिया गया। योगाचार्य महेश पाल बताते हैं कि भारत में पहला शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया, जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने थे। हर साल की भाती इस साल भी 5 सितंबर को पूरे भारतवर्ष में 64वाँ शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है, जिसका थीम है "इंस्पायरिंग द नेक्स्ट जनरेशन ऑफ़ लर्नर्स" यानी “आने वाली पीढ़ी के विद्यार्थियों को प्रेरित करना”। यह थीम हमें बताती है कि शिक्षक का कार्य केवल पढ़ाना ही नहीं है,बल्कि छात्रों की जिज्ञासा को जागृत करना, उनमें आत्मविश्वास जगाना और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाना भी है बही यूनेस्को (UNESCO) ने 1994 में 5 अक्टूबर को World Teachers’ Day घोषित किया।इसका उद्देश्य है – दुनिया भर में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देना और शिक्षकों के अधिकारों एवं जिम्मेदारियों को मान्यता देना।जिसमें कुछ देशों मैं शिक्षक दिवस अलग अलग तारीख मै मनाया जाता जिसमें चीन में 10 सितंबर, अमेरिका में मई के पहले मंगलवार, और थाईलैंड में 16 जनवरी को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।इस तरह लगभग हर देश अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ के आधार पर अलग-अलग तिथियों पर शिक्षक दिवस मनाता है। बही भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो एक महान शिक्षक, दार्शनिक और देश के दूसरे राष्ट्रपति थे, की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्होंने अपने जीवन को शिक्षा और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित कर दिया।शिक्षक हमारे जीवन का मार्गदर्शक होता है। वह केवल किताबों का ज्ञान ही नहीं देता, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है। शिक्षक वह दीपक है,जो खुद जलकर अज्ञानता का अंधकार दूर करता है और समाज को ज्ञान की रोशनी से आलोकित करता है। इस दिन विद्यार्थियों को अपने गुरुओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर मिलता है। यह दिन समाज में शिक्षा के महत्व और शिक्षक की भूमिका को रेखांकित करता है। बच्चों को भी यह प्रेरणा मिलती है कि वे अपने जीवन में अपने शिक्षकों के बताए आदर्शों को अपनाएँ।आज के समय में शिक्षक की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। डिजिटल युग में जहाँ बच्चे तकनीक के प्रति आकर्षित हो रहे हैं, वहाँ शिक्षक ही उन्हें संतुलित जीवन जीने, नैतिक मूल्यों को अपनाने और सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। शिक्षक दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह एक संकल्प का दिन है—अपने गुरुओं का सम्मान करने का और उनके बताए मार्ग पर चलने का। जैसा कि डॉ. राधाकृष्णन कहते थे, "सच्चे शिक्षक वही हैं जो हमें सोचने के लिए प्रेरित करते हैं।"
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