दशलक्षण महापर्व चित्त की मृदुता व्यवहार में विनम्रता ही मार्दव धर्म है - -मुनि श्री दुर्लभ सागर
दशलक्षण महापर्व चित्त की मृदुता व्यवहार में विनम्रता ही मार्दव धर्म है - -मुनि श्री दुर्लभ सागर
मार्दव धर्म - दसलक्षण का द्वितीय दिवस विशेष
आरोन- नगर मे चल रहे परम पुज्य आचार्य भगवन 108 श्री विधासागर जी महामुनि राज के बात्सल्य मुर्ति शिष्य108 श्री मुनि श्री दुर्लभ सागर महारज का मंगल चातुर्मास नगर में हो रहा है इस चातुर्मास के अंतर्गत नित्य धर्म की गंगा बह रही है मुनि श्री के चातुर्मास अंतर्गत दस लक्षण महापर्व पर मुनिश्री के मंगल सान्निध्य में श्रावक संस्कार प्रारंभ हुआ दस लक्षण धर्म के द्वितीय दिवस उत्तम मार्दव धर्म पर बोलते हुए मुनिश्री ने कहा है कि चित्त की मृदुता एवं व्यवहार में विनम्रता ही मार्दव धर्म है यह मान कषाय के आभाव को प्रकट करता है जाति कुल ज्ञान पद वैभव प्रभुता ऐश्वर्या संबंधी अभियान मार्दव कहलाता है अत इन्हे विनश्वरसमझकर मान कषाय को जीतना उत्तम मार्दव धर्म कहलाता है मुनि श्री ने मार्दव धर्म पर कहा है कि भगवान राम एवं रावण दोनों की राशि एक थी लेकिन राम में विनम्रता शालीनता कोमलता थी वही रावण में सख्यता कठोरता निर्दयता थी सदेव कोमल शालीन विनम्र ही रहे और अपने मान कषाय का त्याग करें अपनी विनम्रता शालीनता कोमलता के कारण भगवान राम जगत में पूज्य बने जबकि रावण तिरस्कार के पात्र बने अतः यही मान काश कषाय छोड़ने का संदेश उत्तम मार्दव धर्म सिखाता है उत्तम मार्दव धर्म का सच्चा अर्थ है अहंकार का अभाव विनम्रता का सद्भाव जीवन में विकास के लिए हमें जीवन में अंह का विसर्जन अनिवार्य करना पड़ेगा आज के विधा गुरु उपासक परिवार चक्रेश कुमार पारस जैन को मिला मुनिश्री के मुखारविंद से विशेष शांतिधारा का बाचन हो रहा है चातुर्मास अंतर्गत विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन नित्य हो रहा है आरोन में मुनि श्री के चातुर्मास अंतर्गत क्रोध विषय पर दुर्लभ वाणी प्रवचन माला में प्रतिदिन क्रोध के विषय में समझाया जा रहा है समस्त कार्यक्रम में सकल दिगंबर जैन समाज के साथ अध्यक्ष विजय कुमार डोडिया चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष मिंटू लाल जैन बाखर नरेश चंद उपस्थित रहे समस्त जानकारी के के सरकार द्वारा दी गयी
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