एक दिवसीय प्रेरक कार्यशाला का आयोजन
एक दिवसीय प्रेरक कार्यशाला का आयोजन
ग्वालियर - शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मुरार क्रमांक 2, ग्वालियर में "हाउ टू मोटिवेट योरसेल्फ" विषय पर एक दिवसीय प्रेरक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य वक्ता मोटिवेशनल स्पीकर सीता पाणीग्राही रहीं। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा जीवन में किसी तरह की परेशानी से निराश होना हर व्यक्ति के लिए स्वाभाविक होता है ।जब छात्र असफल हो जाते है, तब उनका आत्मबल टूटने लगता है।कभी-कभी लोग खुद को इतना दुखी कर लेते हैं कि वह तनाव में आ जाते हैं और अपने काम व अपने आसपास के लोगों से मानसिक तौर पर दूर होना शुरू हो जाते हैं ऐसी परेशानियों से बचने के लिए खुद को हमेशा मोटिवेट रखना बहुत जरूरी होता है।यदि व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ्य है, तो वह इन 7 तरीकों का अनुसरण कर स्वयं को मोटीवेट कर सकता है।
*असफल होने पर अपना बेस्ट परफॉर्मेंस याद करें* - हमारे जीवन में कभी कभी कुछ ऐसे पल भी आते हैं जब हम अपने आपको बिल्कुल हारा हुआ महसूस करने लगते हैं। हमारा आत्मविश्वास का स्तर इतना गिर जाता हैं तब लगता हैं कि बस अब हमारे बस में कुछ नहीं रहा और जिंदगी में कुछ अच्छा नहीं कर पाएंगे।
ऐसे मनःस्थिति के समय याद करें वो पल जब आपने कुछ अच्छा काम किया था और सबने आपकी खूब तारीफ की थी या जब आप क्लास में सबसे फर्स्ट आये थे तो आपका उत्साह कितना बढ़ गया था।
*स्वयं को ही अपना प्रतिस्पर्धी बनाएं*- दूसरों से स्वयं की तुलना ना करें,दूसरों से प्रतिस्पर्धा ना करें, इससे नकारात्मक भाव आपके मन में उत्पन्न होंगे और आप वास्तविक लक्ष्य से भटक जाएंगे।
स्वयं के द्वारा किए गए पिछले कार्यों का आकलन और विश्लेषण करें, और ये सुनिश्चित करें अगला कार्य पिछले कार्य के अपेक्षा ज्यादा बेहतर हो, ऐसा करने से आप स्वयं के बेहतर वर्जन बनते जाएंगे और आपका व्यक्तित्व और कार्य दोनों अद्वित्य बन जाएगा।
*स्वयं को पुरस्कृत करें* - अक्सर हमें जब मौका मिलता है तो छोटी छोटी बात को दिल पे ले लेते हैं,और दुःखी होते हैं। दुःखी होने के कोई अवसर नहीं गवांते।
हमारे जीवन में कई ऐसे पल भी आते है जो हमें खुश होने का मौका देते है लेकिन हम अपने आपमें इतने व्यस्त रहते हैं कि उन पलों का आनंद लेना ही भूल जाते हैं या फिर हम उन्हें इतना महत्व ही नहीं देते हैं।
हर छोटे उपलब्धि का जश्न मनाए और स्वयं को पुरस्कृत करें इससे आप प्रसन्न रहेंगे और अगली उपलब्धि के लिए उत्साह के साथ जुट जाएंगे।
*सकारात्मक दृष्टिकोण-* यदि हमने मन को सकारात्मक पक्ष देखने के लिए अभ्यस्त कर लिया है,तो कठिन परिस्थितियों में भी हम खुशनुमा, आशावादी बने रहने की संभावना रखते हैं।
*आत्म-अनुशासन*
बुरी आदतें समाप्त करने के लिए हमें बार-बार स्वयं को उन लाभों के बारे में आश्वस्त करना होगा जो हानिकारक आदतों को बदलने से प्राप्त होंगे। आत्म-अनुशासन में किसी भी क्षेत्र में सफलता का रहस्य निहित है।
*नकारात्मक विचारधारा वाले व्यक्तियों से दूर रहें-* नकारात्मक विचारधारा वाले व्यक्ति नकारात्मक वातावरण बना देते हैं, जिससे मनुष्य नकारात्मक होकर अपनी योग्यताओं और क्षमताओं पर संदेह करने लगता है। वे हमेशा आपको प्रेरणाहीन करेंगे। इसीलिए हमेशा सकारात्मक विचारधारा वाले व्यक्तियों के साथ रहे, इससे आपके विचार और कर्म सदैव सकारात्मक और सही मार्ग में बढ़ेंगे। और अगर सकारात्मक विचारधारा के व्यक्ति ना मिले तो अकेले रहे।
*अध्यात्म,पसंदीदा कार्य व* *परोपकार को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं -* अपने दिनचर्या में कोई एक पसंदीदा,रचनात्मक कार्य करें।अपने पसंदीदा लोगों से मिले और उनसे बातें करें।परोपकार को जीवनशैली में सम्मिलित करें। जरूरी नहीं कि आर्थिक रूप से ही सहायता की जाए।आप अपना समय देकर, अपनी कोई कौशल देकर, अपने आसपास रहने वाले लोगों की सहायता कर सकते हैं।
क्योंकि जब हम अपनी पसंद का कोई कार्य करते हैं, किसी पसंदीदा व्यक्ति से बात करते हैं, और जब कोई परोपकार करते हैं तब हमें आत्म संतुष्टि मिलती है। जिससे हमारे शरीर से हैप्पी हार्मोन्स-एंडोर्फिन,डोपामाइन, सेरोटोनिन,ऑक्सीटोसिन
सीक्रेट होने लगता है।हैप्पी हार्मोन्स मूड बूस्टर की तरह काम करता है यह ऐंटीडिप्रेसेंट भी है यानी हमें डिप्रेशन में जाने से बचाता है। हमारे मूड को सही रखते हैं और हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
कार्यशाला की *अध्यक्षता प्राचार्या रेनू बेदी* द्वारा किया गया। इसमें विद्यालय के *195 विद्यार्थी* और *राजकिशोरी शर्मा,रीना ओझा, सीमा सिसोदिया, स्वर्ण लता भार्गव, मीरा राघव, नम्रता जादौन* आदि उपस्थित रहे। *आभार नीति अमृतफले एवं संचालन आर एन शर्मा* द्वारा व्यक्त किया गया।
नगर संवाददाता - अभिनय मोरे





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