करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं संवारा जा सका बजरंगगढ़ किला, हुआ घटिया जीर्णोद्धार कार्य- कैलाश मंथन
प्रशासनिक लापरवाही के चलते बेशकीमती पुरासंपदा गायब हुई
करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं संवारा जा सका बजरंगगढ़ किला, हुआ घटिया जीर्णोद्धार कार्य- कैलाश मंथन
गुना। जिला मुख्यालय के निकट हजारों वर्ष प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं जो पहाड़ी चट्टानों को काटकर कमरानुमा बने है। कंकरीली पहाडिय़ों पर आयताकार कमरे चट्टानों से काटकर बने हैं जो तीन फुट मोटी (परकोटा) पथरीली दीवार से काटी गई है। पुराविद एवं समाजसेवी कैलाश मंथन के मुताबिक कमरे में प्रवेश के लिए तीन फुट चौड़ा दरवाजा भी है।* अनुमान है कि यह सभ्यता प्राचीन मोहनजोदड़ों हड़प्पा से भी अधिक प्राचीन हो सकती है। जिले में खोजी गई हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता संस्कृति के अवशेष प्राचीन गुफाएं, प्रतिमाएं, बावडिय़ों एवं इमारतें प्रशासनिक लापरवाही एवं रखरखाव न होने से नष्ट होने के कगार पर हैं। श्री मंथन के मुताबिक पिछले तीन दशक के दौरान खोजी गई करीब 150 गुफाओं की श्रृंखलाएं अतिक्रमण की चपेट में हैं या ढ़हने के कगार पर है। मुहालपुर पहाडिय़ों पर करीब 60 गुफाओं एवं कंकरीली पहाडिय़ों को काटकर बनाई गई इमारतों को लेकर केंद्रीय एवं प्रादेशिक पुरातत्व विभाग लापरवाह बना रहा है जिला प्रशासन के तहत पुरातत्व के नाम पर कागजी खानापूर्ति होती रही है।
जिला पुरातत्व संघ के वरिष्ठ सदस्य रहे कैलाश मंथन ने बताया कि पुरातत्व महकमे के तहत करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी बजरंगगढ़ का किला संवारा नहीं जा सका। वहीं हाल ही में हुआ किले के जीर्णोद्धार का कार्य घटिया होने से ठेकेदारों एवं प्रशासनिक अधिकारियों पर सवालियां निशान लग रहा है। किले की प्राचीन सुंदरता नष्ट की जा रही है। श्री मंंथन ने बताया कि उन्होंने नठाई, मालपुर, लोहपाल, गादेरघाटी, गढ़ाघाटी, केदारनाथ, निहालदेवी, बीसभुजी, बजरंगगढ़ आदि इलाकों में पहाड़ी चट्टानों को तराशकर बनाई गई कमरानुमा इमारतों एवं गुफाओं की खोज की। इस बारे में प्रशासन को रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। पिछले कलेक्टरों द्वारा पुराने कलेक्टोरेट भवन को पुरातत्व संग्राहलय में तब्दील करने का भरोसा भी दिया गया। लेकिन न तो जिला मुख्यालय पर म्युजियम का निर्माण हो सका, न ही पुरा संपदा की अब तक सुरक्षा हो सकी है। अनुमान है कि खोजी गई सभ्यता 10 हजार साल से भी अधिक पुरानी हो सकती है। पुराविद् कैलाश मंथन ने आरोप लगाया कि बजरंगगढ़ किले, सर्किट हाउस, कलेक्टोरेट परिसर, तहसील परिसर से प्राचीन अष्टघातु की करीब आधा दर्जन तोपों एवं बेशकीमती प्राचीन मूर्तियां सरेआम चोरी चली गई। जिनका आज तक पता नहीं चल सका।
बताया जाता है इलाके के दबंगों ने यह मूर्तियां एवं पुरासंपदा गायब करवाई। लेकिन सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों एवं राजनैतिक दलों की अनदेखी एवं प्रशासन की लापरवाही के चलते सर्किट हाउस से बौद्ध एवं परमार कालीन मूर्तियों का चोरी जाना आज तक रहस्य बना है। वहीं बजरंगगढ़ की बेशकीमती तोपों का जाना आश्चर्य का विषय है। इस मामले में अब तक पुलिस मौन बनी रही है। पुराविद् कैलाश मंथन ने पुराने कलेक्टोरेट में पुरा संग्राहलय के निर्माण की मांग करते हुए मुहालपुर, बजरंगगढ़, केदारनाथ, गढ़ा इलाके में काफी प्राचीन संस्कृति को संरक्षित करने एवं पयर्टन केंद्र विकसित करने की मांग की है।






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