ग्राम खामखेड़ा में हुई रामायण संगोष्ठी
आरोन- तहसील आरोन के ग्राम खामखेड़ा में कैलाश रघुवंशी शिक्षक द्वारा रामायण संगोष्ठी का आयोजन अपने ग्रह ग्राम खामखेड़ा में किया गया। रामायण संगोष्ठी का शुभारंभ 6 वर्ष पूर्व हिनोतिया ग्राम से किया गया था। हर महीने में एक बार इसका आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों के प्रथक प्रथक स्थानों पर किया जाता है। रामायण एवं गीता के प्रचार प्रसार हेतु हर संगोष्ठी में राम एवं कृष्ण भक्तों को20 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक डिस्काउंट पर रामचरितमानस एवं भागवत गीता आदि धार्मिक ग्रंथों को हर संगोष्ठी स्थल पर उपलब्ध कराई जाती है। जिससे आसानी से सब रामायण गीता खरीद सके। बच्चों को भी रामायण पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। जिससे उनके अंदर संस्कार पैदा हो। रामायण मानव समाज का आईना है। इसमें इसको शुभारंभ करने वाले स्वर्गीय श्री जगन्नाथ सिंह रघुवंशी का बड़ा ही योगदान रहा। जिनका कुछ दिन पहले स्वर्गवास हुआ। उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई। इसको शुरू करने में ओम वीर रघुवंशी शिक्षक आरोन रामवीर रघुवंशी बेरखेड़ी स्वर्गीय जगन्नाथ सिंह रघुवंशी आदि गणमान्य जनों की बड़ी भूमिका रही। ओमवीर रघुवंशी व रामवीर रघुवंशी ने मंच संचालन किया। गुना शिवपुरी अशोकनगर एवं विदिशा से पधारे हुए वक्ताओं ने रामचरितमानस पर अपने विचार रखे। भगवान लाल शर्मा ने भगवान की महिमा के बारे में विचार रखें। मानव उत्थान सेवा समिति से पधारे प्रमोद रघुवंशी ने रामायण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज हम राम को मानते हैं। पर राम की बात नहीं मानते। रामजी ने सभी प्रजा वासियों की सभा एकत्रित की। सभी प्रजा वासियों एवं सारे संसार को संबोधित करते हुए कहा मेरी भक्ति का मार्ग गुप्त है ,, औरहु एक गुप्त मत, सवहि कहूं कर जोड़,,शंकर भजन विना, नर भक्ति न पावहि मोर ,,और कहते है, शंकर भजन बिना मेरे कोई भक्ति पा नहीं सकता। भगवान शंकर ध्यानस्त रहते है वह कौन सा भजन कर रहे हैं। उसी को जानने के लिए सदगुरु की खोज करनी पड़ेगी। क्योंकि रामायण में कहां है, गुरु बिन होई कि ज्ञान, गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता। ज्ञान का मतलब जानकारी, गुरु बिन भव निधि तरई न कोई इसलिए हमें समय के सच्चे सद्गुरु की खोज करनी पड़ेगी। भगवान राम कहते हैं ,,करण धार सद्गुरु दृढ़ नाभा दुर्लभ सहज सुलभ कर पावा,, यह मनुष्य शरीर ही भवसागर से पार करने के लिए जहाज है। दुखों से छूटने का रास्ता है, सदगुरु इसको खेने वाले कर्णधार है। इमझरा से भीकम सिंह रघुवंशी हर महीने पधार कर रामायण पाठ शुरू करते हैं। रामकुमार रघुवंशी मनोज रघुवंशी घनश्याम रघुवंशी रामायण एवं गीता सभी को उपलब्ध कराते हैं। कार्यक्रम में अशोक रघुवंशी लक्ष्मण सिंह रघुवंशी रघुवीर सिंह भानु रघुवंशी देवी सिंह रघुवंशी माधो सिंह रघुवंशी भागीरथ रघुवंशी और भी सभी विद्वान अपने रामायण पर विचार रखते हैं। क्षेत्रों से पधार कर लोग उसका लाभ प्राप्त करते हैं।
नगर संवाददाता: अभिनय मोरे




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