विष्णु के अधिकारी बनने की यात्रा मै योग बना सहयोगी तनाव और निराशा से भी हुआ बचाव
विष्णु के अधिकारी बनने की यात्रा मै योग बना सहयोगी तनाव और निराशा से भी हुआ बचाव
अभी हाल ही में राज्य सेवा परीक्षा (MP PSC) मै चयन होकर सहकारिता अधिकारी बनने पर विष्णू गुर्जर को योगाचार्य महेश पाल द्वारा गायत्री मंदिर गुना में माला पहनाकर बधाई और शुभकामनाएं दी और कहा आज जब युवा पीढ़ी प्रतियोगी परीक्षाओं की तीव्र प्रतिस्पर्धा, मानसिक दबाव और अनिश्चितता से जूझ रही है, ऐसी परिस्थितियों में कुछ युवाओं की कहानियाँ आशा और प्रेरणा का स्रोत बनती हैं। विष्णु गुर्जर की कथा भी ऐसी ही प्रेरक यात्रा है जिसने योग को जीवन का मार्ग बनाकर अधिकारी बनने का अपना सपना साकार किया। विष्णु गुर्जर ने अभी हाल ही में राज्य सेवा परीक्षा में सहकारिता अधिकारी के रूप में अंतिम रूप से चयन होकर गुना जिले अपने गांव ओर माता पिता का नाम रोशन किया है,विष्णु ग्राम सिंगापुरा के किसान श्री जगदीश गुर्जर और माता श्रीमति राममूर्ति बाई के घर एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म हुआ, विष्णु मै प्रारंभ से ही प्रतिभा और इच्छाशक्ति का अभाव नहीं था, लेकिन पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने, तनाव और राज्य सेवा परीक्षा निरंतर प्रतियोगिता उनके सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़ी थी। इस समस्या के समाधान के लिए उन्हें योग का सहारा मिला और इसी बीच उन्हें योग का वास्तविक अर्थ योगाचार्य महेश पाल ने समझाया ओर कहा कि “योग केवल आसन नहीं, बल्कि मन को संयमित करने की कला है।” योगाचार्य द्वारा आसन, प्राणायाम और ध्यान के अभ्यास के बारे में बताया ओर विष्णु ने उसे अपने दिनचर्या में लागू किया यहीं से उनकी परिवर्तन यात्रा प्रारम्भ हुई, योग और विष्णु के कठिन परिश्रम ने जो बदला पढ़ाई का पूरा दृष्टिकोण, प्रतिदिन 15–20 मिनट का ध्यान, नाड़ीशोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, और ताड़ासन जैसे संतुलन आसनों ने उनकी एकाग्रता को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाया। जो विषय घंटों में समझ आता था, अब थोड़े समय में स्पष्ट होने लगा, योग ने विष्णु को तनाव पर विजय पाने की क्षमता दी। परीक्षा की उलझनों के बीच वह शांत, संयमित और सकारात्मक बने रहे। यही गुण अधिकारी बनने की तैयारी में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। योग ने दिया अनुशासित जीवन समय पर उठना, सात्त्विक भोजन, निश्चित समय पर अध्ययन,स्वाध्याय व आत्ममंथन
इस अनुशासन ने उनकी तैयारी को निरंतर, सुगठित और प्रभावशाली बनाया। ध्यान ने उनके मन को संतुलन दिया।परिस्थितियों का शांत मन से विश्लेषण करना उनकी आदत बन गई जो प्रशासनिक सेवाओं की बुनियादी आवश्यकता है। योग ने विष्णु को न केवल दृढ़ बनाया बल्कि संवेदनशील भी—जो एक अधिकारी के व्यक्तित्व का मूल गुण है। विष्णु ने राज्य सेवा की परीक्षा में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर अधिकारी के पद को हासिल किया। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि “अभ्यास, अनुशासन और योग तीनों मिलकर किसी भी लक्ष्य को सरल बना देते हैं।” अधिकारी बनने के बाद भी विष्णु योग को नहीं भूलेगे। उन्होंने कहा की वे अपने विभाग में सहकर्मियों को तनाव-नियंत्रण और मानसिक संतुलन के लिए योग अपनाने हेतु प्रेरित करेंगे हैं। युवाओं के लिए विष्णु का संदेश प्रतियोगी परीक्षाओं में योग सबसे बड़ा साथी है, एकाग्रता बढ़ाता है मानसिक ऊर्जा देता है, तनाव कम करता है, निर्णय क्षमता मजबूत करता है,आत्मविश्वास को स्थिर रखता है योग जीवन को दिशा देता है, विष्णु मानते हैं “नोट्स और कोचिंग सफलता दिला सकते हैं, परंतु योग मन की शक्ति बढ़ाकर उस सफलता को स्थायी बनाता है।” विष्णु की यात्रा केवल एक युवा की उपलब्धि नहीं, बल्कि योग की शक्ति का जीवंत उदाहरण है। यह कहानी हर उस युवा को प्रेरणा देती है जो अधिकारी बनने का सपना देखता है और संघर्षों के बीच थक जाता है। यदि लक्ष्य ऊँचा है तो योग को अपनाइए योग मन, शरीर और चरित्र को एक दिशा देता है और वही दिशा आपको सफलता तक ले जाती है। विष्णु ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता गुरुजन और योग को दिया और विशेष रूप से उन्होंने योगाचार्य महेश पाल को विशेष धन्यवाद दिया, ओर कहा कि सही समय पर योग से जोड़ने व तनाव जैसे समस्या से बचाव के लिए,




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