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उत्सव प्रधान है भारतीय संस्कृति -कैलाश मंथन

250 पुष्टिमार्गीय केंद्रों पर भव्यता से मना नंद महोत्सव

जन्माष्टमी पर दो दिवसीय कार्यक्रम संपन्न

उत्सव प्रधान है भारतीय संस्कृति -कैलाश मंथन

भगवान कृष्ण का जन्म एवं  कर्म दिव्य हैं-कैलाश मंथन


गुना। भारतीय सनातन संस्कृति उत्सव प्रधान है। बिना उत्सवों के भारतीय संस्कृति की कल्पना अधूरी है। विराट हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने यहां पालना नंदोत्सव पर आयोजित भव्य समारोह के दौरान कहा कि भारत में विशेष पर्वों एवं अवतारों महापुरूषों की जयंतियों पर विशेष उत्सव मनाए जाने की परंपरा अपना महान महत्व रखती है। हमारे यहां विषाद नहीं उत्सव मनाने की परंपरा ने ही भारतीय संस्कृति को एक सूत्र में बांध रखा है। नंद महोत्सव के भव्य समापन समारोह में वैष्णव भक्तों ने उत्साह से नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की और भगवान कृष्ण के जयकार लगाते हुए भगवान को पालना झुलाया। 

मंध्याचल के गुना-बमोरी क्षेत्र के 250 पुष्टिमार्गीय सत्संग मंडलों एवं भक्ति केंद्रों पर जन्माष्टमी, नंद महोत्सव पालना मनोरथ संपन्न हुए। इस दौरान भक्ति केंद्रों पर उत्साहपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का जन्म महोत्सव एवं नंद महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय निशुल्क गीता प्रचार मिशन भारत के संयोजक संस्थापक  कैलाश मंथन के मुताबिक गुना, ऊमरी, भिडरा, कालोनी, लालोनी, पांचौरा, मगरोडा, बागेरी, परवाह, बने, भौंरा सहित एक सैकड़ा से अधिक ग्रामों में श्री ठाकुर जी का पालना महोत्सव हुए। वहीं शहर के श्रीनाथ जी के मंदिर एवं श्री वल्लभ सत्संग मंडलों में भी नंद महोत्सव पर विशेष मनोरथ सिद्ध हुए। सभी कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में वैष्णवों एवं भक्तों ने उपस्थिति दर्ज कराई।

जारी है नि:शुल्क गीता वितरण का दौर

इधर जन्माष्टमी पर श्रीमद् भगवद गीता की प्रतियां नि:शुल्क वितरण की गईं। चिंतन मंच के तहत विराट हिन्दू उत्सव समिति, अंतर्राष्ट्रीय पुष्टमार्गीय वैष्णव परिषद मप्र सहित गीता स्वाध्याय मंडलों, सत्संग मंडलों के माध्यम से 37 हजार परिवारों तक नि:शुल्क गीता पहुंचाई गई है। यह अभियान 38वें दौर में प्रवेश कर गया है। शहर के प्रमुख मंदिरों, धार्मिक स्थलों एवं निकाली गई जन्माष्टमी शोभायात्रा का विराट हिन्दू उत्सव समिति के प्रमुख कैलाश मंथन एवं कार्यकर्ता में भव्य स्वागत किया

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