पुष्टिमार्ग कृष्ण भक्ति का बड़ा केंद्र है गुना मध्यांचल:कैलाश मंथन
पुष्टिमार्ग कृष्ण भक्ति का बड़ा केंद्र है गुना मध्यांचल:कैलाश मंथन
हिंडोला सुरंग के साथ हुआ एक माह तक चले श्रावण महोत्सव का समापन*
ढाई सौ केंद्रों पर गुंजित हुआ राग मल्हार, छाया रहा तिरंगा*
पुष्टिभक्ति का बडा केंद्र बना मध्यांचल- कैलाश मंथन
गुना। मध्यांचल के पुष्टि भक्ति केंद्रों पर श्रावण मास के तहत 31 दिवसीय हिंडोला महोत्सव की धूम रही। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद मध्य प्रदेश के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि श्रावण की एकम से प्रारंभ हुए हिंडोला महोत्सव का समापन हिंडोला सुरंग के साथ भव्यता से हुआ। अंचल के करीब 250 ग्रामों सहित शहरी क्षेत्र के सत्संग मंडलों एवं श्रीनाथ जी के मंदिरों एवं निजी गृहों में श्रावण मास में भगवान श्रीकृष्ण को हिंडोला में झुलाने की प्राचीन परंपरा है। इस अवसर पर बरखा का राग मल्हार गाकर श्री ठाकुर जी एवं राधारानी की कैशोर्य लीलाओं का स्मरण किया जाता है। पुष्टिमार्गीय परिषद के जिलाध्यक्ष कैलाश मंथन के मुताबिक जिले के करीब 150 ग्रामों में स्थित मंडलियों एवं प्रमुख भक्ति केंद्रों गुना शहर के श्रीनाथ जी मंदिर, भौंरा, परवाह, बने, ऊमरी, भिंडरा, रतनपुरा, लालोनी, कालोनी, मगरोडा, झागर, बमोरी, फतेहगढ़ सहित क्षेत्रीय सत्संग मंडलों में श्रावण मास में राग मल्हार गुंजित हुए। हिंडोरे भाई झूलत लाल बिहारी, संग झूले वृषभान नंदिनी प्राणन हूते प्यारी’। मंगला दर्शन से शयन पर्यन्त मल्हार राग में ठाकुर जी की भक्ति में लीला भक्तों का आनंद देखने लायक होता है। पुष्टिमार्ग में अष्टसखा सूरदास, कुंभनदास, परमानंद दास, कृष्णदास, छीतस्वामी, नंददास, चर्तुभुजदास के पदों का गायन होता है।*
जन्माष्टमी पर अंचल से मथुरा पहुंचेंगे हजारों श्रद्धालु
जन्माष्टमी सहित अन्य पर्वों पर विशेष ट्रेन चलाने की मांग
गुना। विशेष धार्मिक पर्वों, जन्माष्टमी एवं पूर्णिमा पर ब्रजधाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि को देखते हुए गुना मुख्यालय से विशेष टे्रनें चलाए जाना आवश्यक है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रमुख प्रवक्ता एवं विराट हिन्दू उत्सव समिति के संयोजक कैलाश मंथन के मुताबिक जन्माष्टमी पर अंचल से दस हजार से अधिक श्रद्धालुओं के मथुरा पहुंचने की संभावना है। हिउस प्रमुख श्री मंथन के पूर्णिमा एवं विशेष पर्व जन्माष्टमी पर मालवा, चंबल, हाड़ौती, बुंदेलखंड, चंबल क्षेत्रों से विशेष रेलें मथुरा तक चलाए जाने की मांग केंद्र सरकार से की। ध्यान रहे कि हर माह पूर्णिमा पर 50 हजार से अधिक यात्री ब्रज गिर्राज जी की परिक्रमा करने ब्रजधाम पहुंचते हैं। रिजर्वेशन न होने से एवं ट्रेनों में जगह नहीं मिलने हजारों लोग ब्रजधाम पहुंचने से वंचित रह जाते हैं।*
*#श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर होंगे दो दिवसीय भव्य कार्यक्रम*
अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद, विराट हिन्दू उत्सव समिति के तहत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 16 एवं 17 अगस्त को दो दिवसीय भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस मौके पर 16अगस्त को प्रातः कालीन बेला में भगवान कृष्ण एवं द्वारकाधीश का अभिषेक होगा। सभी भक्ति केंद्रों एवं मदिरोंं में विशेष मनोरथ, सत्संग, संकीर्तन एवं बौद्धिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विराट हिन्दू उत्सव समिति के संस्थापक कैलाश मंथन के मुताबिक सनातन धर्म परंपरा में जन्माष्टमी त्यौहार का विशेष महत्व है। अंचल में सर्वाधिक भक्त भगवान कृष्ण के हैं। हजारों भक्त भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर मथुरा ब्रजधाम पहुंचते हैं। इस अवसर पर निकलने वाली शोभायात्रा का भव्य स्वागत करने की अपील विराट हिउस द्वारा की गई है। पुष्टिमार्गीय केंद्रों पर श्रीनाथ जी मंदिर, सत्संग मंडलों में जन्माष्टमी पर भव्य कार्यक्रम आयोजित होंगे। वहीं 17 को नंद महोत्सव पालना में भगवान श्रीकृष्ण को पलना में झुलाया जाएगा।*
श्रीमद् भगवद गीता के महाप्रचार अभियान का 38 वां दौर होगा प्रारंभ
जिला मुख्यालय गुना श्रीमद् भगवद गीता के महाप्रचार अभियान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख केंद्र बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रमुख प्रवक्ता एवं विराट हिन्दू उत्सव समिति, चिंतन मंच के संयोजक कैलाश मंथन के मुताबिक भारतीय धर्म दर्शन संस्कृति के प्रमुख ग्रंथ श्रीमद् भगवत गीता की अमर वाणी का प्रचार एवं सनातन धर्म संस्कृति के आधार उपनिषद संहिता की घर-घर में स्थापना के मकसद से महाप्रचार अभियान पिछले तीन दशक से चलाया जा रहा है। हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि अब तक अंचल में गीताजी की 38 हजार प्रतियों का नि:शुल्क वितरण चिंतन मंच के तहत किया जा चुका है। प्रत्येक ग्यारस एवं रविवार को गीता स्वाध्याय मंडलों, मंदिरों, धार्मिक केंद्रों के माध्यम से श्रीमद् भगवत गीता की प्रतियां उन परिवारों तक पहुंचाई जा रही हैं जिनके पास गीता नहीं है। गीता का अध्ययन, पठन मृत्यु का भय दूर करता है। आत्मा की अमर सत्ता से साक्षात्कार करता है। जीवन जीने की कला सिखाता है गीता का ज्ञान। हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने कहा कि हजारों वर्ष पुरातन भारतीय संस्कृति भगवान कृष्ण की अमरवाणी गीता के बल पर ही जीवित है। विदेशी संस्कृति के आघात के बावजूद पूरे विश्व ने गीता के उपदेशों को स्वीकार है। चिंतन हाउस में हुई बैठक में बताया गया कि कृष्ण जन्माष्टमी पर गीता के प्रचार अभियान के 37 वें दौर की पूर्णाहूति पर 37 हजार गीता नि:शुल्क बांटने का लक्ष्य पूरा होगा।
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