चारों दिशाओं में फैल रही है महक गीता की
चारों दिशाओं में फैल रही है महक गीता की
गुना - श्रीमद्भगवद्गीता, जिसे गीता के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जो महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का वर्णन करते हैं। गीता में कर्म, ज्ञान, भक्ति, और मोक्ष जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई है।
मनुष्य को कर्म के प्रति एक सही दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह बताता है कि हमें अपने कर्मों के फल के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए, बल्कि अपने कर्मों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए.
गीता प्रचारक श्री कैलाश मंथन ने बताया की गुना से मैंने थोड़ी-थोड़ी गीता का निशुल्क वितरण शुरू किया था जिसका उद्देश्य था कि प्रत्येक घर में गीता पढ़ कर प्रत्येक जन मानस उस पर चल सके श्री कैलाश मंथन ने कहा कि मैं कान्हा जी को कोटि-कोटि नमन करता हूं कि मेरी लगन मेहनत और कान्हा जी पर अटूट विश्वास की कान्हा जी के आशीर्वाद से आज गीता का निशुल्क वितरण पूरे विश्व में हो रहा है गीता प्रचारक श्री कैलाश मंथन ने कहा कि मैंने अपने दो हाथों से निशुल्क वितरण का वीणा उठाया था और आज लाखों हाथ गीता का वितरण कर रहे हैं।
भगवद गीता एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है जो जीवन के कई पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करता है, जैसे कर्म, भक्ति, और ज्ञान। गीता को पढ़ने से मन को शांति मिलती है, जीवन के प्रति समझ बढ़ती है, और आत्म-नियंत्रण में मदद मिलती है।
श्री कैलाश मंथन ने कहा कि जो मनुष्य प्रत्येक दिन गीता का अध्ययन करता है उसका जीवन प्रभू से जुड़ जाता है और घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।
वर्तमान में देखने में आ रहा है कि काम क्रोध लोभ मोह अहंकार मनुष्य पर अत्यधिक हावी हो रहे हैं ईश्वर स्मरण में मन कम लगता है गीता का नियमित पाठ मन को शांत करने और तनाव को कम करने में मदद करता है। यह हमें धैर्य और सहनशीलता विकसित करने में भी मदद करता है।
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