रसायनिक होलिका उत्सव को त्याग मनाएं गौकाश्ठ व हर्बल रंगों से तिलक होली
रसायनिक होलिका उत्सव को त्याग मनाएं गौकाश्ठ व हर्बल रंगों से तिलक होली
गुना -वर्तमान पर्यावरण संकट से बचने प्रदूशण रहित पर्यावरण अनुकूल तिलक होली-रंगपंचमी उत्सव मनाने कुलदीपिका सिंह मैमोरियल पर्यावरण जागरुकता अभियान की निस्वार्थ स्वाधीन पर्यावरण व सामाजिक व क्लाईमेट चेंज नियंत्रण अभियान कार्यकर्ता सुचेताहम्बीर सिंह जागरुकता अभियान चला रहें हैं कि एक दूसरे को केवल हर्बल रंगों से तिलक होली व रंगपंचमी की षुभकामनाऐं दें आधुनिकता में आमजन धातुओं (लैड, कैडमियम, कॉपर, अल्यूमिनियम, क्रोमियम, मरकरी, जिंक आदि) से बने रसायनिक रंगों, कलर पैंट व अबीर-गुलाल आदि का उपयोग न करें इसके विकल्प में प्राकृतिक व हर्बल सामग्री (जैसे पलास/टेसू के फूल से लाल रंग; चुकंदर से बैगनी रंग; गैंदा के फूल, हल्दी, चंदन व मुलतानी मिट्टी से पीला रंग; पालक से हरा रंग आदि) से बने पर्यावरण अनुकूल सूखे हर्बल गुलाल-रंगों का उपयोग करके पर्यावरण अनुकूल होली-रंगपंचमी उत्सव को मनाकर पानी को बचाने के साथ पर्यावरण स्वच्छता व संरक्षण के लिऐ पानी बचाओ पेड बचाओ व जन-जीवन को बचाने के इस जागरुकता अभियान में अपना योगदान दें। इससे पर्यावरण की असंतुलित परिस्थितियों, जंगल के संरक्षण व पानी की कमी को पूरा करने में सहायता मिलेगी। आगरा षहर के कई स्थानों पर पर्यावरण के लिऐ अतिघातक सामगी्र रसायनिक ठोस कचडा जैसे फैाम, रबर सीट कतरन, थर्माकोल, पौलिथिन, बोरी आदि की होलिका बहुताय में रखी गई हैं देष में इस प्रकार की होलिका दहन को बढावा न दें। देष के कई षहर पानी के कमी से जूझ रहे हैं तथा होलिका दहन के लिए पेडों को न काटें और कंडों-घास-फूस का भी अधिक उपयोग न करें औसतन प्रति 100 किलोग्राम लकडी व कंडे की होलिका दहन से करीब 100 किलोग्राम ग्रीनहाउस गैसें कार्बन डाईऔक्साइड तथा कई किलोग्राम कालिख (पीएम 2.5 व 10) कणों का उत्सर्जन होता है जो ग्लोबल वार्मिंग की तीव्रता व बीमारियों को बढाते है यदि देष के करीब 650000 गांव व 4000 षहरों में औसतन होलिका दहन में लकडी आधी कर दें तो प्रति बर्श देष के करीब 3000 हैक्टेयर जंगल क्षेत्र का संरक्षण और करीब 4 लाख टन ग्रीनहाउस गैसें कार्बन डाईऔक्साइड के उत्सर्जन को रोक सकेंगे इससे पानी के संकट और जलवायु परिवर्तन की आपदाओं को रोकने में सहायता मिलेगी। सुचेताहम्बीर सिंह व हम्बीरसुचेता सिंह द्वारा आगरा जिला के सार्वजनिक स्थलों, षासकीय स्कूलों, नवलपुर, नगला रामबल, टेडी बगिया, नगला माहनलाल, पुरागोवर्धन और 100 फुटा रोड, भगवान टाकीज चौराहा, नरायच, रामबाग, चीनी का रोजा, वाटर वर्कस, बेलनगंज, घाट, यमुना ब्रिज, मोती महल, कालिंदी विहार, कमला नगर, नगला धनी, लंगडे की चौकी, सुल्तानगंज पुलिया, ट्रांसयमुना कालौनी, चौराहा आदि स्थानों पर पोस्टर बैनारों के द्वारा गाजियाबाद उप्र और गुना जिला मप्र के स्कूलों व कई संस्थाओं को ई-मीडिया से पर्यावरण अनुकूल होली-रंगपंचमी के इस संदेष को देष के आमजन तक पहुंचा रहे है।
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