मृत्यु का भय दूर करती है श्रीमद्भगवद्गीता : कैलाश मंथन
मृत्यु का भय दूर करती है श्रीमद्भगवद्गीता : कैलाश मंथन
13प्रांतो में चलाया जा रहा है निशुल्क गीता वितरण अभियान
गीता जयंती पर भव्य कार्यक्रम आयोजित हुए
गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए चलाया जाएगा हस्ताक्षर अभियान
अंतर्राष्ट्रीय निशुल्क गीता प्रचार मिशन भारत के द्वारा हुआ निशुल्क गीता वितरण
आत्मबल प्रदान करते हैं गीता के विचार: कैलाश मंथन
मानवाधिकारों की व्याख्या करती है श्रीमद् भगवद् गीता- कैलाश मंथन
गुना - अंचल में गीता जयंती पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किये गये । अंतर्राष्ट्रीय नि:शुल्क गीता प्रचार मिशन, अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद मप्र, विराट हिन्दू उत्सव समिति एवं चिंतन मंच के तहत मोक्षदा एकादशी गीता जयंती पर अंचल सहित देश के 13प्रांतों में गीता प्रचार पखवाड़े के तहत गीता पाठ, स्वाध्याय, बौद्धिक वार्ता एवं नि:शुल्क गीता वितरण आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए । गुना में मिशन के संस्थापक कैलाश मंथन ने संतों की उपस्थिति में निशुल्क गीता प्रचार का 32 डोर प्रारंभ किया। कोलकाता में श्रीमती विजय श्री रावत ने पश्चिम बंगाल में निशुल्क गीता प्रचार मिशन के तहत गीता वितरण की एवं गीता स्वाध्याय किया। हरिद्वार उत्तराखण्ड में श्रीमती साधना राघव द्वारा संकीर्तन एवं निशुल्क गीता वितरण किया गया। महानगर लखनऊ के फैजुल्लागंज स्थित भगवान श्री राधाकृष्ण के मंदिर में गीता प्रचार मिशन लखनऊ उत्तर प्रदेश की संयोजिका मीडिया प्रभारी श्रीमती रश्मि मंथन ने निशुल्क गीता वितरण किया रश्मि मंथन ने कहा उत्तर प्रदेश में प्रथम दौर के दौरान 11,000 परिवारों तक निशुल्क गीता पहुंचाई जा रही है इसका शुभारंभ उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक एवं उनकी धर्मपत्नी नम्रता जी द्वारा पिछले वर्ष गीता जयंती पर किया था । ब्रज प्रदेश में श्रीमती मधु पाराशर ने निश्चल की भागवत गीता वितरण किया। जयपुर में श्रीमती सरला बडाया, अजमेर में श्रीमती नमिता खंडेलवाल, इंदौर मध्य प्रदेश में अनुराधा विजय वर्गीय, भोपाल से श्रीमती कुसुम मिश्रा, प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश से श्रीमती संगीता खंडेलवाल सहित अनेकों राज्यों की संयोजिकाओं एवं प्रमुख कार्यकर्ताओं ने गीता जयंती पर भव्य गीता वितरण समारोह मैं हिस्सेदारी की।
इस वर्ष प्रमुख कार्यक्रम राधा कृष्ण मंदिर में भव्यता के साथ किया गया। गीता हमारी धर्म और संस्कृति का आधार है। घर-घर गीता का प्रचार होगा गीता की स्थापना होगी तभी सनातन धर्म में जागृति आ सकती है। गीता प्रचार मिशन के संस्थापक एवं पुष्टिमार्गीय परिषद मप्र के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक अंचल सभी धार्मिक केंद्रों एवं मंदिरों पर 4 दिसंबर को विशेष मनोरथ एवं सत्संग कार्यक्रम आयोजित हुए। मोक्षदा एकादशी से पूर्णिमा तक अंचल के प्रमुख 18 कृष्ण मंदिरों में गीता पाठ, संकीर्तन के आयोजन किए जाएंगे। अभी तक 13 प्रांतों में सवा लाख से अधिक नि:शुल्क गीता की प्रतियां वितरित की जा चुकी है। गीता जयंती से गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए सभी प्रांतों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। वहीं नि:शुल्क गीता वितरण का 32 वां दौर की पूर्णाहूति हुई। गुना अंचल में अब तक 32 हजार नि:शुल्क गतियों का वितरण किया जा चुका है। इस मौके पर श्री मंथन ने बताया कि श्रीमद् भगवद् गीता मानवाधिकारों की व्याख्या करती है। गीता के विचार मानव धर्म की ज्योति जाग्रत करते हैं। गीता का दर्शन मानव मात्र के लिए पथ प्रदर्शक है।*
चिंतन मंच ने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग
देश धर्म की रक्षा करना प्रत्येक भारतवासी का धर्म है। पाखंड वाद पर प्रहार एवं भारतमाता के प्रति भक्ति की भावना जाग्रत करना ही वर्तमान का सर्वश्रेष्ठ कर्तव्य है। चिंतन हाउस में आयोजित गीता जयंती पखवाड़े पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए विराट हिन्दू उत्सव समिति प्रमुख कैलाश मंथन ने व्यक्त किए। श्री मंथन ने कहा कि गीता हमें मानव जीवन के वास्तविक चरम लक्ष्य की ओर ले जाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन रूपी भारत को देश धर्म के लिए मर मिट जाने का सच्चा धर्म उपदेश दिया था। चिंतन हाउस में स्वाध्याय के दौरान श्री मंथन ने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता देश धर्म और भक्ति के प्रति हमारा दायित्व बोध कराती है। शरीर नाशवान है आत्मा अविनाशी फिर भय कैसा। देश के लिए मर मिटना है सच्चा धर्म है। इस अवसर पर चिंतन बैठक में प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया कि भारत सरकार देश के प्रत्येक सैनिक एवं घर-घर तक गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा देते हुए स्थापित करवाएं तभी आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है।
मृत्यु का भय दूर करती है श्रीमद् भगवद् गीता- कैलाश मंथन
इस मौके पर निशुल्क गीता वितरण के 32 वें दौर का शुभारंभ हिउस प्रमुख करते हुए कैलाश मंथन ने कहा कि विश्व साहित्य में श्रीमद् भगवद गीता ही एक मात्र ऐसा दर्शन विज्ञान है जो मृत्यु का भय दूर करता है, कर्मपथ पर लगाता है, ज्ञान, भक्ति वैराग्य की त्रिवेणी है श्रीमद् भगवद् गीता। जीवन संग्राम में श्रीमद् भगवद् गीता प्रकाश स्तंभ की तरह मानव जाति को मार्ग निर्देशित करती है। विषादमय जीवन में गीता के विचार आत्मबल प्रदान करते हैं। गीता जयंती पखवाड़े के अवसर पर विराट हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश मंथन ने कहा कि श्री मद् भगवद् गीता राष्ट्रधर्म, देशहित के लिये जीना एवं मर मिटना सिखाती है। दु:खमय जीवन में भी विचलित ना होना सिखाती है गीता। गीता के विचार आत्मसात करके ही सुख और शांति की प्राप्ति की जा सकती है। गीता ऐसे समय में सुनाई गई जब महाभारत का भीषण संग्राम चल रहा था। रक्त की नदियां बहाई जा रही थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने शांत मन से अर्जुन रूपी भारत को आत्मज्ञान से भरपूर मोवक्ष प्राप्ति का सरल साधन बतलाया। वेद, शास्त्रों में वर्णित ज्ञान, कर्म, भक्ति का सार समझाया।





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