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धन्य है जीवन उन्हीं का, जोकि जीवन राह पर अविचल तपस्वी से खड़े हैं: डॉ रमा सिंह

धन्य है जीवन उन्हीं का, जोकि जीवन राह पर अविचल तपस्वी से खड़े हैं: डॉ रमा सिंह


गुना-अंतरराष्ट्रीय संस्था हिंदी साहित्य भारती के तत्वावधान में संस्था की जिला कार्यकारिणी का गठन किया गया। 

बैठक का आरम्भ माँ भारती की आराधना के साथ हुआ। तत्पश्चात सिक्खों के प्रथम गुरु शौर्य, साहस, देशप्रेम और बलिदान के उत्तुंग शिखर श्री गुरुनानक देव जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वरिष्ठ नेतृत्व के मार्गदर्शन में जिला कार्यकारिणी, गुना की घोषणा की गई। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य भारत प्रान्त के अध्यक्ष दिनेश बिरथरे जी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ रमा सिंह, गुना तथा विशिष्ट अतिथि राकेश चतुर्वेदी, प्रमोद सोनी एनएफएल तथा प्रांतीय संयुक्त महामंत्री प्रेम सिंह प्रेम उपस्थित रहे। 

प्रमोद सोनी एनएफएल को प्रांतीय कार्यकारिणी में दायित्व प्रदान किया गया। 

  जिलाध्यक्ष डॉ.अशोक गोयल ने अपनी कार्यकारिणी के दायित्ववान साहित्यकारों के नाम घोषित किए, उपस्थित साहित्य सुधीजन ने करतल ध्वनि से सभी का अभिनन्दन किया।


हिंदी साहित्य भारती जिला कार्यकारिणी का दायित्व इस प्रकार से है- जिलाध्यक्ष डॉ.अशोक गोयल , उपाध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी राज व डॉ. लक्ष्मी नारायण बुनकर, महामंत्री विनोद तिवारी मानस, संयुक्त महामंत्री हरीश सोनी, संगठन महामंत्री उमाशंकर भार्गव, जनसंचार संयोजक धर्मवीर भारतीय, मंत्री कीर्ति मोरोलिया, संतोष ब्रह्मभट, रमाकांत मोरे, कार्यकारिणी सदस्य सियाराम कुशवाह, राजेश जैन तथा रवि बंजारा व बाबू खान निडर को भी दायित्व सौंपे गए।

कार्यकारिणी गठन के उपरान्त काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें शहर व जिले के साहित्य सृजकों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया

सरस्वती वंदना कीर्ति मोरोलिया ने प्रस्तुत की।

 हिंदी साहित्यकार डॉ.रमा सिंह ने - धन्य है जीवन उन्हीं का, जोकि जीवन राह पर अविचल तपस्वी से खड़े हैं, गुरुत्तर शुचि कर्मपथ पर हो निरत निज साधना में, भूलकर निज स्वत्व को अविरल बढ़े हैं.. के माध्यम से गुरु नानक देव को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

ओज और राष्ट्रीयता के कलमकार दिनेश बिरथरे ने सृजन की चेतना को रेखांकित करते हुए कहा,  इंद्रप्रस्थ निर्माण का बीड़ा, मैंने उठा चबाया था। जली हुई उस लंका को, फिर मैंने ही चमकाया था।।

एन.एफ.एल.से आये शायर प्रमोद सोनी ने कहा कि मुहब्बत का हमें बस आसरा है, न फिर कोई किसी से वास्ता है अभी उनसे कनारा कर लिया है, अभी तो साथ उनके काफिला है|| शायर प्रेम सिंह प्रेम ने कहा कि हल्की शोहरत में फूले गुब्बारे कि तरह, गिरते-गिरते आखिर नीचे गिर गया कोई|| 

एन.एफ.एल. से आये शायर राकेश चतुर्वेदी राज ने कुछ इस तरह से कहा कि क्यूँ गुमान में जी रहे हो, कितने गम तुम पी रहे हो| कितने सामां तुम समेटे, कितने थैले सी रहे हो। विनोद तिवारी मानस ने कहा,  मानस जिन लोगों को अपने ऊपर ही विश्वास नहीं, सोती है उनकी ही किस्मत चादर ताने एक तरफ..

हास्य कवियित्री संतोष ब्रहंभट ने कहा, दीप शब्दों के ऐसे जले, पाप मिटता रहे धर्म बढ़ता रहे, संस्कारों के दीपक जले|| 

शहर के वरिष्ठ शायर डॉ. अशोक गोयल ने कहा कि यूँ तो मैं पत्थर हूँ लेकिन, है यकीं मुझको बहुत, तू तराशेगा मुझे तो आइना हो जाऊँगा|| 

उमाशंकर भार्गव ने कहा, मना रहा है सिख समाज देव दीपावली पर्व।  इस पर्व को मनाने पर हम सबको है गर्व।। गोष्ठी का सञ्चालन करते हुए ऋषिकेश भार्गव ने कहा कि संबंधों की बलिवेदी पर, मन से मन का मिलन नहीं है।

दृष्टिहीन इस सारे जग में, संजय जैसी आंख नहीं है।।

गोष्ठी में धर्मवीर भारती ने भी अपनी रचना का पाठ किया इस अवसर पर अभिजीत गोयल, अस्मिता गोयल,सियाराम कुशवाह, राजेश जैन व अन्य सुधीजन उपस्थित रहे।

अंत में आभार हिंदी साहित्य  भारती के जिलाध्यक्ष डॉ.अशोक गोयल ने व्यक्त करते हुए सभी को अपनी नवीन  प्रकाशित पुस्तक जिसमें गजलों का संग्रह है भेंट की।

नगर संवाददाता -अभिनय मोरे 

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