अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल संगोष्ठी मैं हुआ गुरुकुल शिक्षा का वैश्विक शंखनाद
अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल संगोष्ठी मैं हुआ गुरुकुल शिक्षा का वैश्विक शंखनाद
बेंगलुरु मैं संपन्न हुई गुरुकुल संगोष्ठी
गुना-विश्वभर के शिक्षाविदों के द्वारा विभिन्न देशों में प्रचलित शिक्षा पद्धतियों पर सतत किए जा रहे शोध अनुसंधान में आर्यावर्त काल से ही भारत में चली आ रही गुरुकुल शिक्षा पद्धति को ही विद्यार्थी के समग्र विकास का आधार मानते हुए वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम और प्रगतिशील बताया है क्योंकि शोध में यह निष्कर्ष निकला हे कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति विश्व की एकमात्र ऐसी पद्धति है जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी को कृषि ,रसायन ,शल्य चिकित्सा, भूगर्भ विद्या, विमान शास्त्र ,शस्त्र विद्या ,संगीत कला, शरीर रचना विज्ञान ,अंतरिक्ष विज्ञान ,परमाणु विज्ञान, नगर रचना, यंत्र विज्ञान ,आयुर्वेद, गणित शास्त्र ,अर्थशास्त्र, नक्षत्र विज्ञान ,वेद विज्ञान ,व्याकरण, निरुक्त इस प्रकार कुल 10 शास्त्र 32 विद्याओं और 64 कलाओं का ज्ञान सभीको किसी बिनाभेदभाव के समान रूप से कराया जाता था । इस प्रकार गुरुकुल से निकला विद्यार्थी वैदिक ज्ञान विज्ञान तथा सर्व कलाओं से संपन्न होकर परिवार , समाज ,राष्ट्र औरविश्व के लिए प्रगति ,समृद्धि का संवाहक होता था ।गुरुकुल शिक्षा के सिद्धांत शास्त्रीय ,तार्किक होने के कारण कालातीत सनातन है ।आर्यावर्त काल मैं ऋषि वशिष्ठ ,महर्षि सांदीपनि ,महर्षि वाल्मीकि जेसे अनेकों मुनियों द्वारा संचालित गुरुकुल तथाआधुनिक भारत में नालंदा तकछशिला,विक्रमशिला गंधार विश्वविद्यालय जैसे अनेकों शिक्षा केंद्र इसका जीवन प्रमाण है । वर्तमान में विश्व के 14 से भी अधिक देशों में 16000 से भी अधिक गुरुकुलों में स्वावलंबी, आनंददायी शिक्षा दी जा रही है। उक्त विचार देश विदेश से आए विद्वानों द्वारा वेद विज्ञान गुरुकुल चेन्ननहल्ली बेंगलुरु में भारतीय शिक्षण मंडल के गुरुकुल प्रकल्प द्वारा दिनांक 4 से 6 नवंबर तक आयोजित तीन दिवसीय गुरुकुल संगोष्ठी में व्यक्त किए। उक्त संगोष्ठी में सहभागिता करने वाले मध्य क्षेत्र के गुरुकुल संयोजक आचार्य पं.तुलसीदास दुबे ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि उक्त संगोष्ठी में देश विदेश के 650 से भी अधिक गुरुकुल संचालक आचार्य 430 से भी अधिक वैदिक ज्ञान विज्ञान की विविध विधाओं में पारंगत विद्वानों ने कुल 12 सत्रों में 21 विषयों पर विमर्श कर गुरुकुल शिक्षा विश्व सुदीक्षा धेय वाक्य के द्वारा गुरुकुल शिक्षा का वैश्विक शंखनाद किया । गोष्ठी में गुरुकुल प्रकल्प के अखिल भारतीय प्रमुख प्रोफेसर रामचंद्र भट्ट कोट मनी ने स्वागत भाषण ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश सोनी जी ने अतिथि उद्बोधन, भारतीय शिक्षण मंडल के महामंत्री डॉ उमाशंकर पचौरी ने भूमिका ,सह संगठन मंत्री शंकरानन्दजी ने सत्र चर्चा, संगठन मंत्री मुकुल जी कानितकर ने पाथेय तथा पेजावर मठ उडुपी के मठाधीश स्वामी विश्वप्रसन्ना तीर्थ ने आशीर्वचन प्रदान किए। कर्नाटक प्रांत के गुरुकुल प्रमुख डॉ.महाबलेश्वर भट्ट ने सभी को सूत्र संकल्प दिलाया ।राष्ट्रीय सह गुरुकुल प्रमुख आचार्य ज्ञानेंद्र सपकोटा ने आभार व्यक्त किया।
नगर संवाददाता -अभिनय मोरे




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