मानवाधिकारों की व्याख्या करती है श्रीमद् भगवद् गीता- कैलाश मंथन
गीता जयंती 4 को, होंगे विभिन्न मनोरथ
चिंतन मंच ने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग
मानवाधिकारों की व्याख्या करती है श्रीमद् भगवद् गीता- कैलाश मंथन
गुना। अंचल में 4 दिसंबर को गीता जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। अंतर्राष्ट्रीय नि:शुल्क गीता प्रचार मिशन, अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद मप्र, विराट हिन्दू उत्सव समिति एवं चिंतन मंच के तहत मोक्षदा एकादशी गीता जयंती पखवाड़े के तहत गीता पाठ, स्वाध्याय, बौद्धिक वार्ता एवं नि:शुल्क गीता वितरण आदि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। पुष्टिमार्गीय परिषद मप्र के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक अंचल सभी धार्मिक केंद्रों एवं मंदिरों पर 4 दिसंबर को विशेष मनोरथ एवं सत्संग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मोक्षदा एकादशी से पूर्णिमा तक अंचल के प्रमुख 18 कृष्ण मंदिरों में गीता पाठ, संकीर्तन के आयोजन किए जाएंगे। अभी तक 13 प्रांतों में सवा लाख से अधिक नि:शुल्क गीता की प्रतियां वितरित की जा चुकी है। गीता जयंती से गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए सभी प्रांतों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। वहीं नि:शुल्क गीता वितरण का 32 वां दौर की पूर्णाहूति होगी। गुना अंचल में अब तक 32 हजार नि:शुल्क गतियों का वितरण किया जा चुका है। इस मौके पर श्री मंथन ने बताया कि श्रीमद् भगवद् गीता मानवाधिकारों की व्याख्या करती है। गीता के विचार मानव धर्म की ज्योति जाग्रत करते हैं। गीता का दर्शन मानव मात्र के लिए पथ प्रदर्शक है।
चिंतन मंच ने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग
देश धर्म की रक्षा करना प्रत्येक भारतवासी का धर्म है। पाखंड वाद पर प्रहार एवं भारतमाता के प्रति भक्ति की भावना जाग्रत करना ही वर्तमान का सर्वश्रेष्ठ कर्तव्य है। चिंतन हाउस में आयोजित गीता जयंती पखवाड़े पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए विराट हिन्दू उत्सव समिति प्रमुख कैलाश मंथन ने व्यक्त किए। श्री मंथन ने कहा कि गीता हमें मानव जीवन के वास्तविक चरम लक्ष्य की ओर ले जाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन रूपी भारत को देश धर्म के लिए मर मिट जाने का सच्चा धर्म उपदेश दिया था। चिंतन हाउस में स्वाध्याय के दौरान श्री मंथन ने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता देश धर्म और भक्ति के प्रति हमारा दायित्व बोध कराती है। शरीर नाशवान है आत्मा अविनाशी फिर भय कैसा। देश के लिए मर मिटना है सच्चा धर्म है। इस अवसर पर चिंतन बैठक में प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया कि भारत सरकार देश के प्रत्येक सैनिक एवं घर-घर तक गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा देते हुए स्थापित करवाएं तभी आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है।
मृत्यु का भय दूर करती है श्रीमद् भगवद् गीता- कैलाश मंथन
इस मौके पर हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने कहा कि विश्व साहित्य में श्रीमद् भगवद गीता ही एक मात्र ऐसा दर्शन विज्ञान है जो मृत्यु का भय दूर करता है, कर्मपथ पर लगाता है, ज्ञान, भक्ति वैराग्य की त्रिवेणी है श्रीमद् भगवद् गीता। जीवन संग्राम में श्रीमद् भगवद् गीता प्रकाश स्तंभ की तरह मानव जाति को मार्ग निर्देशित करती है। विषादमय जीवन में गीता के विचार आत्मबल प्रदान करते हैं। गीता जयंती पखवाड़े के अवसर पर विराट हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश मंथन ने कहा कि श्री मद् भगवद् गीता राष्ट्रधर्म, देशहित के लिये जीना एवं मर मिटना सिखाती है। दु:खमय जीवन में भी विचलित ना होना सिखाती है गीता। गीता के विचार आत्मसात करके ही सुख और शांति की प्राप्ति की जा सकती है। गीता ऐसे समय में सुनाई गई जब महाभारत का भीषण संग्राम चल रहा था। रक्त की नदियां बहाई जा रही थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने शांत मन से अर्जुन रूपी भारत को आत्मज्ञान से भरपूर मोक्ष प्राप्ति का सरल साधन बतलाया। वेद, शास्त्रों में वर्णित ज्ञान, कर्म, भक्ति का सार समझाया।




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