दीपावली: केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जीवन का गहन संदेश देने वाला आध्यात्मिक उत्सव:- योगाचार्य महेश पाल
दीपावली: केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जीवन का गहन संदेश देने वाला आध्यात्मिक उत्सव:- योगाचार्य महेश पाल
गुना -भारत की सांस्कृतिक परंपराएँ केवल आडंबर या अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि जीवन दर्शन और आत्मिक उत्थान के सूत्र हैं। योगाचार्य महेश पाल बताते हैं कि इन्हीं में दीपावली सबसे प्रमुख पर्व है, जो केवल दीपों और मिठाइयों का त्योहार नहीं, बल्कि अंधकार से प्रकाश, अज्ञान से ज्ञान और नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर यात्रा का प्रतीक है।दीपावली केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, स्वच्छता और संतुलित जीवनशैली का संदेश देने वाला उत्सव है। जिस प्रकार हम इस दिन अपने घरों और आँगन को स्वच्छ कर उजाला फैलाते हैं, उसी प्रकार यह पर्व हमें अपने शरीर, मन और वातावरण को भी शुद्ध व स्वस्थ रखने की प्रेरणा देता है।दीपावली से पहले घरों की सफाई, वस्त्र धोना, पुराने सामान को हटाना यह सब केवल परंपरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक अभ्यास हैं। स्वच्छ वातावरण में संक्रमण और रोगों की संभावना कम होती है। मानसिक स्पष्टता और स्फूर्ति बढ़ती है। ऊर्जा का प्रवाह सकारात्मक रहता है दीपावली का सबसे बड़ा संदेश है अंधकार पर प्रकाश की विजय। यह अंधकार केवल बाहर का नहीं, बल्कि मन का अंधकार भी है। जब व्यक्ति अपने भीतर के नकारात्मक विचारों, भय और ईर्ष्या को त्याग देता है, तो मानसिक स्वास्थ्य में गहरा सुधार होता है। योग और ध्यान के अभ्यास से मन का दीप प्रज्वलित किया जा सकता है ध्यान से तनाव और चिंता कम होती है। प्राणायाम से मस्तिष्क में ऑक्सीजन प्रवाह बढ़ता है सकारात्मक विचार रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत करते हैं।दीपावली के अवसर पर मिठाइयाँ, तली हुई वस्तुएँ और भारी भोजन प्रचलित हैं, परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि हम संयम भूल जाएँ। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह पर्व हमें सिखाता है कि, भोजन आनंद का माध्यम हो, अत्यधिकता का नहीं। घर में बनी शुद्ध मिठाइयाँ और प्राकृतिक आहार को प्राथमिकता दें, अधिक तेल, चीनी और कृत्रिम रंगों से बनी वस्तुएँ शरीर को हानि पहुँचाती हैं। दीपावली अनेक धार्मिक घटनाओं से जुड़ी हुई है भगवान श्रीराम के वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटने पर दीप जलाकर स्वागत किया गया। भगवान वामन ने असुरराज बलि को पाताल भेजकर धर्म की स्थापना की। भगवान महावीर स्वामी ने इसी दिन निर्वाण प्राप्त किया। माता लक्ष्मी का पृथ्वी पर अवतरण भी इसी दिन हुआ माना जाता है। इन सभी घटनाओं में एक ही भाव निहित है — सत्य और धर्म की विजय, अधर्म और अंधकार का अंत दीपावली का वास्तविक अर्थ केवल बाहर दीप जलाना नहीं है, बल्कि अंतरात्मा के अंधकार को मिटाकर भीतर ज्योति प्रज्वलित करना है। जैसे दीपक में घी डालने पर वह प्रकाश देता है, वैसे ही मनुष्य जब अपने भीतर श्रद्धा, सत्य और करुणा का घी डालता है, तो उसका जीवन प्रकाशमय बन जाता है। वास्तव में, यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची ज्योति बाहर नहीं, अपने भीतर ही जलानी होती है। दीपावली हमें जीवन जीने का एक गहरा संदेश देती है—
1. थोड़ा सा प्रकाश भी अंधकार मिटा सकता है।
2. असत्य और अन्याय कभी स्थायी नहीं होते।
3. 3. दान, करुणा और सहअस्तित्व ही सच्चे उत्सव का रूप हैं।
4. 4. स्वच्छता केवल घर की नहीं, मन की भी आवश्यक है।
जब हम अपने घर की सफाई करते हैं, तो यह हमें स्मरण कराता है कि हमें अपने मन और विचारों की भी सफाई करनी चाहिए। दीपावली सामाजिक एकता, सहयोग और सद्भाव का संदेश देती है। इस दिन दान-पुण्य, गरीबों की सहायता, और समाज में समानता का भाव हमें यह सिखाता है कि जब प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर का दीप जलाएगा, तब समूचा समाज आलोकित हो उठेगा।” दीपावली केवल व्यक्तिगत आनंद का नहीं, बल्कि साझा सुख और करुणा के प्रकाश का पर्व है। आज का समय भौतिकता और प्रतिस्पर्धा से भरा हुआ है। दीपावली का संदेश हमें याद दिलाता है कि, प्रकाश केवल घरों में नहीं, विचारों में भी होना चाहिए। खुशी केवल प्रदर्शन में नहीं, आत्मिक शांति में छिपी है।फिजूलखर्ची से नहीं, संयम और सेवा से सच्चा उत्सव मनता है। दीपावली का वास्तविक अर्थ पटाखों का शोर नहीं, बल्कि अंतरात्मा की मौन शांति है। दीपावली हमें यह प्रेरणा देती है कि यदि जीवन में प्रकाश चाहिए, तो हमें स्वयं दीप बनना होगा। जब हर मनुष्य के भीतर करुणा, प्रेम, सत्य और विवेक की ज्योति प्रज्वलित होगी, तब ही संसार में सच्चा उजाला फैलेगा।




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