माननीय मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने मुंबई में I.I.M.U.N. की ‘ऑथर सीरीज़’ में डॉ. शशि थरूर की पुस्तक “Our Living Constitution” का किया विमोचन
माननीय मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने मुंबई में I.I.M.U.N. की ‘ऑथर सीरीज़’ में डॉ. शशि थरूर की पुस्तक “Our Living Constitution” का किया विमोचन
भारत का इंटरनेशनल मूवमेंट टू यूनाइट नेशंस (I.I.M.U.N.) की ‘ऑथर सीरीज़’ के मुंबई संस्करण में एक ऐतिहासिक अवसर देखने को मिला, जब भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश, माननीय न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने डॉ. शशि थरूर की नवीनतम पुस्तक "Our Living Constitution" का विमोचन किया। यह कार्यक्रम वाय.बी. चव्हाण ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया, जिसमें शहर भर से 600 से अधिक कानून के छात्र, फैकल्टी सदस्य और युवा वकील शामिल हुए।
I.I.M.U.N. के चीफ मेंटर अधिवक्ता अंजनी रायपत द्वारा संचालित इस सत्र में भारत के संवैधानिक ढांचे की बदलती प्रकृति, कानून और जनजीवन के बीच के संबंध, और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई। डॉ. थरूर और माननीय मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर स्पष्ट विचार साझा किए कि भारत का संविधान कैसे देश की आकांक्षाओं को आकार देता है और उनसे प्रभावित होता है।
डॉ. शशि थरूर ने कहा:
“मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे हमारे पूर्व मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ के साथ संविधान पर बातचीत करने का अवसर मिला, खासकर मेरी पुस्तक ‘Our Living Constitution’ के संदर्भ में I.I.M.U.N. जैसे मंच पर, जो देश के होशियार, जागरूक और समाज के प्रति प्रतिबद्ध छात्रों का एक नेटवर्क बनाने के लिए शानदार काम कर रहा है। मुझे सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की हुई कि वहां मौजूद श्रोता कानून के छात्र थे, जिनके लिए यह विषय केवल किताब नहीं बल्कि उनके जीवन का हिस्सा है। संविधान हम सभी के जीवन का हिस्सा है — इसलिए इसे ‘Our Living Constitution’ कहा गया है; यह जीवित है, सांस लेता है, बदलता है और राष्ट्र की ज़रूरतों के अनुसार खुद को ढालता है। मेरे अनुसार, जैसे-जैसे देश आगे बढ़ता है, संविधान को वास्तव में, प्रधानमंत्री के शब्दों में कहें तो, ‘हमारी पवित्र पुस्तक’ बनना चाहिए — और इसी कारण इसे समझना और इस पर चर्चा करना बेहद ज़रूरी है।”
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने विचार साझा करते हुए कहा:
“संविधान में एक समान नागरिक संहिता की आवश्यकता की अभिव्यक्ति की गई है। संविधान की स्थापना के 75 वर्षों के बाद, अब समय आ गया है कि हम इस महत्वाकांक्षा और लक्ष्य को साकार करें। लेकिन इसके साथ ही, हमें समाज और समुदाय के सभी वर्गों को विश्वास में लेना होगा। यह वास्तव में एक न्यायपूर्ण, समावेशी भारतीय समाज के भविष्य के निर्माण के हित में है।”
कार्यक्रम के अंत में I.I.M.U.N. के संस्थापक एवं अध्यक्ष ऋषभ शाह ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा, “इन दोनों महानुभावों ने हमेशा देश को प्राथमिकता दी है और भारत की संकल्पना के सबसे अच्छे प्रतिनिधि हैं।”
यह कार्यक्रम I.I.M.U.N. की Promoting Literature पहल के अंतर्गत आयोजित ऑथर सीरीज़ का हिस्सा था — एक अनूठी पहल जो भारत के युवाओं में पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लेखकों, नीति निर्माताओं और परिवर्तनकारी व्यक्तित्वों को युवाओं से जोड़ने का कार्य करती है।
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