भगवान कृष्ण की प्राप्ति का सहज-सरल भक्तिमार्ग ही पुष्टिमार्ग है- कैलाश मंथन
पवित्रा एकादशी के दिन हुआ था पुष्टि भक्ति मार्ग का प्राकट्य -कैलाश मंथन
अंचल में पवित्रा एकादशी महोत्सव भव्यता से मनाया गया
भगवान कृष्ण की प्राप्ति का सहज-सरल भक्तिमार्ग ही पुष्टिमार्ग है- कैलाश मंथन
गुना। अंचल में तीन दिवसीय पवित्रा एकादशी महोत्सव भव्यता से शुभारंभ हुआ। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद के तहत सत्संग मंडलों, पुष्टि भक्ति केंद्रों, वैष्णव मंदिरों में पवित्रा एकादशी पर विशेष मनोरथ एवं पुष्टि प्राकट्य महोत्सव के तहत भव्य कार्यक्रम संपन्न हुए। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक अंचल के 127 से अधिक सत्संग मंडलों एवं केंद्रों पर पवित्रा एकादशी पर सत्संग संकीर्तन, वार्ता प्रसंग, बौद्धिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के संयोजक कैलाश मंथन ने धर्म का रहस्य, भक्ति की महिमा, पवित्रा एकादशी का महत्व समझाते हुए वैष्णवों से सहज, सरल, पुष्टि भक्ति पथ पर चलकर मानव जीवन सफल बनाने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि पवित्रा एकादशी के तहत पवित्रा के 360 तंतुओं का समूह वर्ष के 360 दिन को प्रदर्शित करते हैं। पवित्रा एकादशी के दिन प्रभु के प्रति रेशमी पवित्रा का समर्पण एक वर्ष का पूर्ण समर्पण हो जाता है। पुष्टिमार्ग की स्थापना का मकसद सहज, सरल भक्ति भाव से संकीर्तन द्वारा भगवान कृष्ण की प्राप्ति करना है।ध्यान रहे अंचल में करीब एक लाख से अधिक पुष्टिमार्गीय वैष्णव हैं। अ.पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के जिलाध्यक्ष कैलाश मंथन के मुताबिक परवाह, भौंरा, बने, लालोनी, कालोनी, मगरोडा, बमोरी, ऊमरी, भिडरा, रतनपुरा, बागेरी, फतेहगढ़ क्षेत्रों में स्थापित करीब एक सैकड़ा से अधिक सत्संग मंडलों में विशेष मनोरथ आयोजित किए गए। कार्यक्रम के तहत द्वितीय दिवस को पवित्राद्वादशी को प्रात: श्री महाप्रभु जी एवं गुरुओं को पवित्रा धराये जाएंगे। गुना शहर में श्री गोवर्धननाथ जी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर सहित प्रमुख वैष्णव मंदिरों में सत्संग मंडलों में पवित्रा एकादशी महोत्सव के तहत ठाकुरजी भगवान कृष्ण द्वारकाधीश जी को पवित्रा का धराये गए, वहीं ठाकुर जी विशेष श्रृंगार किया गया। सभी जगह बड़ी संख्या में वैष्णवजनों ने भागीदारी की। पवित्रा एकादशी के दिन भगवान कृष्ण श्रीनाथ जी को पवित्रा के हिंडोले में विराजमान कराया गया।*
अंचल में गूंज रहे हैं बरखा राग मल्हार के स्वर
13 अगस्त को होगा हिंडोला महोत्सव का समापन
मध्यांचल के पुष्टि भक्ति केंद्रों पर इन दिनों श्रावण मास के तहत एक माह तक चलने वाले हिंडोला महोत्सव की धूम है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि श्रावण की एकम से प्रारंभ हुए हिंडोला महोत्सव का समापन दोलोत्सव 13 अगस्त को होगा। अंचल के करीब 250 ग्रामों सहित शहरी क्षेत्र के सत्संग मंडलों एवं श्रीनाथ जी के मंदिरों एवं निजी गृहों में श्रावण मास में भगवान श्रीकृष्ण को हिंडोला में झुलाने की प्राचीन परंपरा है। इस अवसर पर बरखा का राग मल्हार गाकर श्री ठाकुर जी एवं राधारानी की माधुर्य रस की लीलाओं का स्मरण किया जाता है। पुष्टिमार्गीय परिषद के जिलाध्यक्ष कैलाश मंथन के मुताबिक जिले के करीब 150 ग्रामों में स्थित मंडलियों एवं प्रमुख भक्ति केंद्रों सहित क्षेत्रीय सत्संग मंडलों में इन दिनों श्रावण मास में राग मल्हार गुंजित हो रहा है। हिंडोरे भाई झूलत लाल बिहारी, संग झूले वृषभान नंदिनी प्राणन हूते प्यारी’। मंगला दर्शन से शयन पर्यन्त मल्हार राग में ठाकुर जी की भक्ति में लीला भक्तों का आनंद देखने लायक होता है। पुष्टिमार्ग में अष्टसखा सूरदास, कुंभनदास, परमानंद दास, कृष्णदास, छीतस्वामी, नंददास, चर्तुभुजदास के पदों का गायन होता है। कैलाश मंथन के मुताबिक यह उत्सव 13 अगस्त तक जारी रहेगा। उल्लेखनीय है कि श्रावण मास में बमोरी अंचल में बृजधाम जैसा नजारा रहता है। सैकड़ों वैष्णव परिवारों में हिंडोला महोत्सव बड़े उत्साह से मनाया जाता है।*
पुष्टिमार्गीय मंदिरों में श्रावण हिंडोला महोत्सव में उमड़ रहे श्रद्धालु*
श्रीनाथ जी के मंदिरों में एक माह तक चलने वाले हिंडोला उत्सव के तहत श्री यमुना जी के तट पर सुरंग, लहरिया, फूल, हरीघटा, कदंब की डार, चुनरी, पीलीसाटन, हिंडोला महोत्सव के तहत हिंडोला कांच, केशरी, फल, मोती, मेवा, हिंडोला पवित्रा, केलकंज, काली चुनरी, हिंडोला राखी, हरीघटा भुजरिया, फलफूल, लाल चुनरी, काली घटा, हिंडोला सुरंग बड़े केंद्रों पर स्वर्ण एवं चांदी के हिंडोरों में ठाकुर जी झुलाए गए। वहीं 16 ,17 अगस्त को को जन्माष्टमी पर्व भी सभी भक्ति केंद्रों पर भव्यता से मनाया जाएगा।*
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