भारतवर्ष की एकता अखंडता के लिए अवतरित हुए थे शंकराचार्य - कैलाश मंथन
भारतवर्ष की एकता अखंडता के लिए अवतरित हुए थे शंकराचार्य - कैलाश मंथन
आध शंकराचार्य की जयंती पर हुए आयोजन, बौद्धिक-चिंतन गोष्ठी
*सत्य सनातन संस्कृति के श्रेष्ठ प्रचारक थे शंकराचार्य- कैलाश मंथन
"गुना। आघ शंकराचार्य जी की जयंती पर अंचल के केदारनाथ धाम एवं गुना शहर में चिंतन गोष्ठी एवं कार्यक्रम संपन्न हुए। चिंतन मंच के तहत अखिल भारतीय संत समिति एवं विराट हिन्दू उत्सव समिति के तत्वाधान में हुई विचार गोष्ठी में विराट हिउस के अध्यक्ष कैलाश मंथन ने कहा कि शंकराचार्य ने अवतरित होकर सनातन धर्म की रक्षा की, भारत की एकता अखंडता के लिए देश के चारों कोनों में चार प्रधान मठ स्थापित किए और समग्र देश में नवयुग स्थापित कर दिया। अद्वैतवाद के प्रवर्तक आघ शंकराचार्य का ब्रह्म सूत्र पर भाष्य एवं उपलब्ध 272 ग्रंथ एवं स्त्रोत उनके अलौकिक व्यक्तित्व, प्रकाण्ड पाण्डित्य, गंभीर विचार शैली, प्रचंड कर्मशीलता, अगाध भगवद्भक्ति, सर्वोत्तम त्याग, अद्भुत योगैश्वर्य आदि अनेकों गुणों पर प्रकाश डालते हैं। उनकी वाणी पर तो साक्षात् सरस्वती जी विराजती थीं। यही कारण है कि 32 वर्ष की अल्प आयु में ही उनको भारत के आध्यात्मिक एवं धार्मिक क्षेत्र में जगद्गुरू की उपाधि प्रदान की गई। शंकराचार्य के आविर्भाव और तिरोभाव के बारे में अनेकों मत हैं। इनका अविर्भाव छठवीं से नौवीं शताब्दी के मध्य विभिन्न शोधकर्ता मानते हैं। एक मत यह भी है कि शंकराचार्य 788 ई. में अविर्भूत होकर 32 वर्ष की अवस्था में अर्थात 820 ई. में तिरोहित हुए। आजकल अधिकांश लोग इसी मत को मानते हैं। श्री शंकराचार्य का जन्म केरल प्रदेश के पूर्णानदी के तटवर्ती कलादी नामक गांव में बैशाख शुक्ल 5 को विद्वान और धर्मनिष्ठ ब्राह्मण शिवगुरु के यहां हुआ था। उनकी माता सुभद्रादेवी अत्यंत विदुषी थीं। आपने 7 वर्ष की अवस्था में सन्यास लेकर सनातन धर्म के प्रचार का बीड़ा उठाया और भारत में पाखंडवाद एवं कापालिक धर्मों पर जमकर प्रहार कर सत्य सनातन वैदिक संस्कृति की स्थापना की। चिंतन गोष्ठी की अध्यक्षता अ.भा. संत समिति के जिलाध्यक्ष महंत केदारनाथ) ने की। वहीं चिंतन हाउस में भी श्री शंकराचार्य जी की जयंती पर पूजन अर्चन एवं धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। इस अवसर पर गुना जिले के केदारनाथ सहित शहर में आयोजित जयंती कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रमुख सहयोग विवेक गर्ग, सूरज पंत, गिर्राज अग्रवाल सहित अनेकों श्रद्धालु भक्तों का रहा। इस अवसर पर शंकराचार्य के जीवन पर समाजसेवी कैलाश मंथन ने शोधपत्र प्रस्तुत किया। चिंतन मंच के महाकवि सूरदास एवं प्रख्यात संत रामानुजाचार्य पर केंद्रित चिंतन गोष्ठी में उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक चिंतन मंच एवं विराट हिन्दू उत्सव समिति के माध्यम से भारतवर्ष के सभी अवतारों, महापुरूषों, पर्वों एवं उत्सवों का तथ्यात्मक परिचय युवा पीढ़ी एवं भावी पीढ़ी को हो, इस मकसद से चिंतन, विचार गोष्ठियों की श्रृृंखला चलाई जा रही है।
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