Breaking News

हिन्दी साहित्य गगन के सूर्य हैं सूरदास : कैलाश मंथन

हिन्दी साहित्य गगन के सूर्य हैं सूरदास : कैलाश मंथन

पुष्टिमार्गीय केंद्रों पर महाकवि सूरदास की जयंती पर हुई चिंतन वार्ता गोष्ठी ,

भक्ति केंद्रों पर पद गायन कर किया गया सूरदास को याद*

विश्व में सर्वाधिक सवा लाख पदों की रचना करने वाले महाकवि  हैं सूरदास- कैलाश मंथन


गुना। महाकवि सूरदास हिन्दी साहित्य गगन के सूर्य हैं। सूरदास के सवा लाख पदों की रचना की। विश्व में सर्वाधिक पद्यों की रचना करने वाले पहले साहित्यकार बने। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद मप्र के तहत महाकवि सूरदास की जयंती पर आयोजित विचार वार्ता प्रसंग के तहत चिंतन हुआ। परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने पुष्टि भक्ति केंद्रों , चिंतन हाउस सर्राफा बाजार में वैष्णवों के बीच सूरदास पर खोज किए गए प्रामणिक लेख एवं प्राचीन ग्रंथ प्रदर्शित किए। वार्ता प्रसंग में श्रीमंथन ने कहा सूरदास की अलौकिक प्रतिभा से प्रभावित होकर आचार्य श्री वल्लभ ने ब्रज प्रदेश में दीक्षा दी एवं श्रीनाथ जी एवं परब्रह्म श्रीकृष्ण का गुणानवादन करने की आज्ञा प्रदान की। सूरदास की प्रतिभा से सम्राट अकबर एवं संपूर्ण भारत का मध्यकालीन धार्मिक एवं साहित्य जगत आंदोलित था। वार्ता प्रसंग में कैलाश मंथन ने बताया खोज के आधार पर सूरदास जी के 40 हजार पद तो उपलब्ध हैं बाकी पदों को भी सहेजने की कोशिश में पुष्टिमार्गीय संस्थाएं लगी हैं। गुरु में अटूट विश्वास सूरदास रखते हैं। विश्व के पुष्टिमार्गीय संस्थानों में सूरदास का ही पद आसरा पद मान गाया जाता है। भरोसे दृढ़ इन चरण करो। श्री वल्लभ नख चक्र छटा, सब जाग सांझ अधेरो। सूर कहा कहे द्विविध अंधरो। बिना मोल को चेरो। वर्तमान में साहित्य जगत में यह कहावत सौ फीसदी सही है कि 'सूर-सूर तुलसी शशि, उडग़ुन केशवदास। अबके कवि खद्योतसम जहां तहां करत प्रकाश'। वार्ता प्रसंग में कैलाश मंथन, गोपालदास सोनी, सूरज पंत, विवेक अग्रवाल, गिर्राज किशोर, नवलकिशोर, प्रदीप सोनी, गोपाल नामदेव, सुनील धाकड़, सुदर्शन, वल्लभ किरार, मांगीलाल ओझा, भूरादास सहित अनेकों गणमान्य जन, वैष्णव उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं