मिट्टी की प्रतिमाओं और ईकोफ्रेंडली मूर्ति विसर्जन से कर सकेंगे प्रदूषण मुक्त यमुना
मिट्टी की प्रतिमाओं और ईकोफ्रेंडली मूर्ति विसर्जन से कर सकेंगे प्रदूषण मुक्त यमुना
आगरा-कुलदीपिका सिंह मैमोरियल पर्यावरण जागरुकता अभियान व पर्यावरण-सामाजिक विकास संघ व राष्ट्रीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली के सदस्यगण व स्वाधीन पर्यावरण-सामाजिक कार्यकर्ता सुचेताहम्बीर सिंह व हम्बीरसुचेता सिंह ने आगरा शहर के दुर्गाजी प्रतिमाओं के विसर्जन बल्केष्वर घाट, हाथी घाट, अरतौनी घाट आदि व पवन विहार मंदिर और मंदिर के पीछे यमुना किनारे विसर्जन स्थलों पर यह देखने को मिला कि लगभग लगभग सभी देवी प्रतिमाएं रसायनिक पदार्थ प्लास्टर ऑफ पेरिस और भारी तत्वों के रसायनिक रंगों से निर्मित थी जो कि सभी प्रकार से जल, जमींन और वायु प्रदूषण के लिए दोशी हैं। भविष्य में पर्यावरण की स्वच्छता के लिए मूर्तियों के विसर्जन की अघुलनषील सामग्री पॉलीथिनों, बोरियों, प्लास्टिक की मालाओं, कांच व कपडा आदि से देवी स्वरुप पवित्र नदियों व तालाबों को इनसे दूशित न करें क्योंकि रसायन, प्लास्टिक और पॉलीथिन प्रदूशण मनुश्य व अन्य जीवों के खून में मिलना और जल स्रोतों नदी व तालाबों में बढता जहरीलें भारी तत्वों व रसायनों का प्रदूशण मानसिक, लीवर, फैंफडे, किडनी, प्रजनन अंग आदि को कई घातक बीमारियों में जकड रहा है और इस कारण से जलीय जीवों की कई प्रजातियां कछुआ, मछली, कैंकडा आदि भी विलुप्त होने की कगार पर हैं व कई जीव विलप्त हो चुके हैं। दुर्गा झांकी आयोजकांे को समझाईस दी कि भविष्य में पीओपी आदि रसायनों से बनी प्रतिमाओं को न खरीदें। अधिकांष प्रतिमा विसर्जनकर्ता पीओपी व रसायनिक रंगों युक्त प्रतिमा विसर्जन से हो रहे प्रदूषण के बारे में जागरुक नही हैं इस दौरान बल्केष्वर घाट व पवन विहार माता मंदिर के पीछे प्रतिमा विसर्जन कर्ताओं को रसायनिक पीओपी, रसायनिक रंगों, पौलीथिन, प्लास्टिक आदि सभी से हो रहे यमुना में प्रदूशण के बारे जागरुक किया कि कभी भी प्रतिमाओं को पवित्र नदी व तालबों में सीधे विसर्जन न करें बल्कि ईकोफ्रेंडली मूर्ति विसर्जन के लिऐ नगर पालिकाओं द्वारा बने अस्थाई कुंडों या मोबाईल विसर्जन कुंड में या छोटी प्रतिमाओं को घर पर ही टब या गमला में विसर्जन करें, इस दौरान लोगों से यमुना नदी में अधुलनषील सामग्री विसर्जन न करने की बजाय हमारे द्वारा रखें कार्टन में डालने को कहा जिसमें कई लोगों ने बहुत सहयोग किया और लोगों को जानकारी दी कि वर्तमान में देष के अधिकांश शहर व जल स्रोत जैसे गंगा, यमुना नदी आदि प्रदूषण की समस्या उठा रहे हैं इसलिऐ देश के स्वच्छता ही सेवा में सभी प्रकार से योगदान दें। किसी भी प्रकार से प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए लोगों से पॉलिथिनों, मालाओं, कपडा, कांच आदि विसर्जन सामग्री को नदी व तालाबों में नही डालने का आग्रह किया।
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