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हिन्दी साहित्य को महान ग्रंथ दिए गोस्वामी श्री गोकुलनाथजी ने- कैलाश मंथन

हिन्दी ब्रजभाषा में वार्ता साहित्य को संबद्ध किया गोकुल नाथ जी ने- कैलाश मंथन

हिन्दी साहित्य को महान ग्रंथ दिए गोस्वामी श्री गोकुलनाथजी ने- कैलाश मंथन

पुष्टिमार्ग के महान आचार्य गोकुलनाथजी का प्राकट्य महोत्सव पर दो दिवसीय वार्ता प्रसंग संपन्न


गुना। पुष्टिमार्गीय भक्ति साहित्य के महान रचनाकार श्री गोकुल नाथजी का प्राकट्योत्सव भव्यता से मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि पुष्टिभक्ति केंद्रों, सत्संग मंडलों में इस अवसर पर दो दिवसीय विशेष मनोरथ एवं गोकुलनाथ जी पर केंद्रित वार्ता प्रसंग आयोजित हुए। मुगलकाल में हिन्दु धर्म पर हो रहे आघातों का खुलकर विरोध करने वाले श्रीगोकुलनाथजी को माला तिलक रक्षक भी कहा जाता है। परिषद के जिलाध्यक्ष कैलाश मंथन ने चिंतन हाउस में हुई वार्ता प्रसंग गोष्ठी में बताया कि श्रीमद् वल्लभाचार्य के पुत्र श्री वि_लनाथजी के चतुर्थ पुत्र श्री गोकुलनाथजी हिन्दी साहित्य को चौरासी वैष्णवों एवं दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता सहित अनेकों सद्ग्रंथ दिए जो हिन्दी साहित्य के महान ग्रंथ कहे जाते हैं। गोकुलनाथजी का प्राकट्य विक्रम संबत 1608 में इलाहाबाद में हुआ था। श्री गुंसाई जी ने श्रीगोकुलनाथ जी का स्वरूप धराया था। वि.स. 1672 में बादशाह जहांगीर माला तिलक पर प्रतिबंध लगाया तब श्रीगोकुलनाथ ने 49 दिन की कठिन यात्रा कर कश्मीर मेें जहांगीर से चर्चा की। कठिन संघर्ष के बाद मुगल साम्राज्य ने अपना आदेश वापस लिया, तब श्रीगोकुलनाथ वापस लौटे। श्री गोकुलनाथजी की तेरह बैठकों में आठ ब्रजमंडल में, दो सौरम एवं अडैल एवं एक कश्मीर में स्थापित है। वि.स. 1697 में माघकृष्ण नवमी के दिन 89 वर्ष की आयु मेंं आप लीलास्थ हुए। आपका प्रभाव इनता व्यापक था किआपके प्राणांत होने के विरह में 78 वैष्णवों ने अपने प्राण त्याग दिए। श्रीगोकुलनाथजी ने पुष्टिमार्ग को महान साहित्य सृजन का आधार दिया एवं अष्ट सखा, सूरदास, कुंभनदास, परमानंदास, छीतरस्वामी, नंददास, गोविंदस्वामी, कृष्णदास, चतुर्भुज आदि महा कवियों की प्रारंभ्ज्ञिक जीवन गाथा कलमबद्ध की। सभी पुुष्टिभक्ति केंद्रों पर श्रीगोकुलनाथजी का उत्सव मनाया गया।

गीता जयंती 4 को, होंगे विभिन्न मनोरथ

अंचल में 4 दिसंबर को गीता जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। अंतर्राष्ट्रीय नि:शुल्क गीता प्रचार मिशन, अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद मप्र, विराट हिन्दू उत्सव समिति एवं चिंतन मंच के तहत मोक्षदा एकादशी गीता जयंती पखवाड़े के तहत गीता पाठ, स्वाध्याय, बौद्धिक वार्ता एवं नि:शुल्क गीता वितरण आदि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। पुष्टिमार्गीय परिषद मप्र के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक अंचल सभी धार्मिक केंद्रों एवं मंदिरों पर 4 दिसंबर को विशेष मनोरथ एवं सत्संग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मोक्षदा एकादशी से पूर्णिमा तक अंचल के प्रमुख 18 कृष्ण मंदिरों में गीता पाठ, संकीर्तन के आयोजन किए जाएंगे। अभी तक 13 प्रांतों में सवा लाख से अधिक नि:शुल्क गीता की प्रतियां वितरित की जा चुकी है। गीता जयंती से गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए सभी प्रांतों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। वहीं नि:शुल्क गीता वितरण का 32 वां दौर की पूर्णाहूति होगी। गुना अंचल में अब तक 32 हजार नि:शुल्क गतियों का वितरण किया जा चुका है। इस मौके पर श्री मंथन ने बताया कि श्रीमद् भगवद् गीता मानवाधिकारों की व्याख्या करती है। गीता के विचार मानव धर्म की ज्योति जाग्रत करते हैं। गीता का दर्शन मानव मात्र के लिए पथ प्रदर्शक है।

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