प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक भारतीय सनातन संस्कृति में शरद पूर्णिमा उत्सव का विशेष महत्व
जीवात्मा का परमात्मा से मिलन ही शरद पूर्णिमा के रास का रहस्य- कैलाश मंथन
गीता प्रचार का परम सम्मान मिला विजयश्री रावत को
शरद पूर्णिमा पर खीर महाप्रसादी वितरण का भव्य कार्यक्रम आयोजित
प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक भारतीय सनातन संस्कृति में शरद पूर्णिमा उत्सव का विशेष महत्व
गुना। भारतीय संस्कृति में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान कृष्ण के साथ भक्ति रूपी गोपियों के साथ महारास का तात्पर्य जीवात्मा का पूर्ण ब्रह्म पुरूषोत्तम के साथ संयोग होना ही शरद पूर्णिमा की निशा का भाव है। गोपी रूप जीवात्मा जब पूर्ण ब्रह्मा पुरूषोत्तम मिलने को बेताव होती है तब होता है महारास। भगवान भक्तों की मनोकामना करते हैं। भगवान से मिलन के लिए गोपी भाव प्राप्त करना जरूरी है। उक्त बात शरद पूर्णिमा के मौके पर चिंतन हाउस सर्राफा बाजार में वार्ता प्रसंग के दौरान कैलाश मंथन ने कही। श्री मंथन ने कहा कि अनेकों जन्मों से बिछड़ी हुई जीवात्माओं का मिलन ही शरद पूर्णिमा में होने वाले महारास का प्रमुख भाव माना जाता है। इस दौरान अंचल सहित जिला मुख्यालय एवं बमोरी क्षेत्र में स्थित एक सैकड़ा से अधिक वैष्णव सत्संग मंडलों, मंदिरों, भक्ति केंद्रों पर विशेष मनोरथ, सत्संग, संकीर्तन सभाओं का आयोजन किया गया एवं खीर महाप्रसादी वितरित की गई।
हिउस प्रमुख श्री मंथन ने बताया कि वैष्णव मंदिरों में रात को खीर महाप्रसादी का वितरण हुआ। वहीं श्रीमद् भागवत के तहत रासपंचाध्यायी रासोत्सव पर विचार चिंतन गोष्ठी में विचारवार्ता हुई। शहर के अनेकों मंदिरों पर समाजसेवी संस्थाओं एवं समाजसेवियों द्वारा खीर प्रसादी का वितरण किया गया। इसके पूर्व शरद पूर्णिमा उत्सव के तहत प्रात: मंदिरों में भगवान के अभिषेक हुआ। शरद पूर्णिमा की प्रात: काल भगवान द्वारकाधीश का विशेष अभिषेक हुआ। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गी वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक भारतीय सनातन संस्कृति में शरद पूर्णिमा उत्सव का विशेष महत्व है। भगवान के प्रति संपूर्ण समर्पण ही भक्ति कहलाती है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति ब्रजधाम में भक्तों का अनन्य समर्पण शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में प्रतिबिम्वित होता है। श्रीमद् भागवत के रास पंचाध्यायी में शरद निशा का अलौकिक दिग्दर्शन देखने को मिलता है। शरदपूर्णिमा को श्री ठाकुर के विशेष श्रृंगार किए जाते हैं एवं मनोरथ होते हैं। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय नि:शुल्क गीता प्रचार मिशन भारत के तहत प्रमुख गीता प्रचारिकाओं को जय मां अम्बे एवं श्रीगणेश सम्मान पत्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किए गए। गीता की परम प्रचारक का सम्मान विजयश्री रावत कोलकत्ता, सरला बड़ाया जयपुर, साधना राघव हरिद्वार, कुसुम एवं प्रोमिला राणा कुरुक्षेत्र हरियाणा, लखनऊ से रश्मि पांडे एवं श्रीमती मधु पाराशर सहित 51 प्रचारिकाओं को सम्मान पत्र भेंट किए गए।





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