भारतीय समाज में स्त्री को शक्ति का स्वरूप माना है,लेकिन क्या अब नव विवाहित स्त्री सिर्फ त्याग का प्रतीक नहीं छल और चाल की मूर्ति भी बनती जा रही है:- योगाचार्य महेश पाल
भारतीय समाज में स्त्री को शक्ति का स्वरूप माना है,लेकिन क्या अब नव विवाहित स्त्री सिर्फ त्याग का प्रतीक नहीं छल और चाल की मूर्ति भी बनती जा रही है:- योगाचार्य महेश पाल
वर्तमान समय में देखने में आ रहा है समाज में विभिन्न कुरीतियां के साथ कई अन्य घटनाएं भी सामने देखने को आ रही है, विवाह एक पवित्र बंधन है लेकिन वैवाहिक जोड़े इस पवित्र बंधन को बदनाम कर रहे हैं जिसमें कुछ युवा भी शामिल है और महिलाओं भी भी शामिल है, योगाचार्य महेश पाल बताते है कि वर्तमान समय में जिस प्रकार पत्नियों द्वारा पतियों की हत्या एवं महिलाए व पुरुष पराए मर्द व स्त्री के साथ व्यभिचार में लिप्त होना यह समाज के लिए दुर्भाग्य पूर्ण बात है,अपनी नाजुक कलाइयों पर खरोंच पड़ने से तिलमिलाती लड़कियाँ संकोच के कारण अपने मन की बात कहने से डरने बाली लड़कियाँ, कमरे में छिपकली देखकर डरने वाली लड़कियाँ आखिर इतनी निडर कैसे हो गई, कि अपने जीवन साथी को मौत के घाट उतारने में भी उन्हें संकोच नही होता। कभी भाड़े के हत्यारों को बुलाकर अपने पति को हत्या की साजिश रचती मौत के हवाले कर शव को खाई में फेंकती हैं, कभी कत्ल करके शव को किसी ड्रम में डालकर सीमेंट के घोल से पत्थर बनाने का असफल प्रयास करती हैं। कोई अपने प्रेमी के साथ पति का गला घोंटकर शव के ऊपर साँप को बिठाकर पति की मौत का कारण साँप के द्वारा डसा जाना बताती हैं। कोई विवाह के उपरांत से ही पति की कमाई पर कब्जा करके अपने मायके वालों का पोषण करती हैं तथा पति को आतंकित करके मृत्यु का वरण करने हेतु विवश कर देती है, जिनमें मुस्कान, ज्योति मौर्य, रबिता, सोनम जैसी लड़कियों ने समाज में विपरीत स्थिति पैदा कर दी है, अभी हाल ही मै इंदौर(म.प्र) की धड़कनों को झकझोर देने वाला एक ऐसा सच सामने आया है, जो किसी भी संवेदनशील इंसान की आत्मा को हिला दे।राजा रघुवंशी एक होनहार, सजीव, मुस्कुराता चेहरा जिसकी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी थी उसकी नई नवेली पत्नी सोनम रघुवंशी,11 मई को दोनों ने सात फेरे लिए, सपनों की डोर में बंधे, और 20 मई को चल दिए हनीमून मनाने मेघालय, वही पत्नी सोनम अपने प्रेमी के प्रेम में मस्त होकर अंधे प्यार में लिप्त होकर अपने पति की हत्त्या करवा देती हैं, सोनम द्वारा राजा की हत्या ने सिर्फ एक बेटे को मां से नहीं छीना,बल्कि उस भरोसे को भी तोड़ दिया है जो समाज स्त्रियों के प्रति संजोए बैठा है, हमारे भारतीय समाज में स्त्री को शक्ति का स्वरूप कहा गया है,ममता, करुणा और त्याग की मूर्ति। मगर चंद औरतें हां, सिर्फ कुछ आजकल ऐसे वीभत्स अपराधों को अंजाम दे रही हैं कि पूरी नारी जाति को कटघरे में खड़ा होना पड़ रहा है।, क्या हो गया है आजकल की कुछ लड़कियों को,क्या पैसा,आज़ादी और झूठे सपनों के पीछे अब प्रेम, विश्वास, और रिश्तों की कीमत खत्म हो गई है?क्या पति अब सिर्फ एक रास्ता है संपत्ति और योजना पूरी करने का?क्या अब स्त्री सिर्फ त्याग का प्रतीक नहीं, छल और चाल की मूर्ति बनती जा रही है? ये सवाल पूरे समाज से जवाब मांगते हैं।सवाल समाज से भी है,क्या अब भी हम आंख मूंदकर हर स्त्री को देवी मानते रहेंगे?या अब समय आ गया है कि अच्छाई और बुराई का मूल्यांकन इंसान के कर्मों से हो, उसके लिंग से नहीं।सोनम अपने पति के हत्यारिन के रूप मैं सामने आई है, यह सिर्फ एक अपराध नही, बल्कि समाज, परिवार और विवाह संस्था की आत्मा पर चोट है। देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर क्या मन से भी उतना ही स्वच्छ है? राजा-सोनम कांड ने एक गंभीर सवाल खड़ा किया है, हम किस दिशा में जा रहे हैं? किस सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था को गढ़ रहे हैं, लेकिन सवाल है कि सोनम जैसे युवाओं को बना कौन रहा है?भारत की मातृशक्ति की परंपरा सीता, सावित्री, मैत्रेयी, गार्गी,देवी अहिल्या बाई, लोपामुद्रा, लक्ष्मीबाई और सावित्रीबाई फुले से भरी है। फिर सोनम जैसी विकृति क्यों? क्या इसके पीछे बदलती लाइफस्टाइल विदेशी खाना, बॉलीवुड मैं बनती अश्लील फिल्में व सीरियल,लिविंग रिलेशन, सोशल मीडिया पर बनती गलत संगत बाली रीले, नशे की लत, गलत संगत, खुली आजादी, शिक्षा, भारतीय संस्कृति से दूर, उच्च बौद्धिकता का अभाव, विवाह को पवित्र बंधन ना मानना इन सभी कारणों से युवा व युक्तियों की बदलती विचार शैली और नकारात्मकता, इन सभी कारणों की बजह से आज समाज मैं ऐसी स्थिति बन रही है, बही दूसरी और वर्तमान की शिक्षा पद्धति है जो आदर्श नहीं, सिर्फ कॅरियर सिखा रही है। अंग्रेजी माध्यम, कान्वेंट, मैकॉलेवादी सोच ने हमारे संस्कारों को काटकर फेंक दिया है। देश को अब ऐसी शिक्षा चाहिए जो गुरुकुल की तरह चरित्र निर्माण करे, अब बच्चों का युवाओं में उच्च संस्कार विकसित करने के लिए योग शिक्षा पर भी जोर दिया जाना चाहिए योग नकारात्मक विचारों को दूर करने व युवाओ में उच्च बौद्धिकता को विकसित करने का काम करता है जिससे इस प्रकार की घटना को काफी हद तक रोका जा सकता है, यूँ तो प्रेम और आकर्षण मन के विषय हैं। समाज में शारीरिक आकर्षण के चलते कब वासना में अध होकर युवक युवती अपनी नैतिक और सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन करके अपनी शारीरिक भूख मिटाने के लिए अपने परिवार की इज्जत को दाँव पर लगाने से बाज न आ रहे हैं, मगर ऐसे कृत्य करने वालों को किसी और के विश्वास को छलने की छुट क्यों मिले दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि विना पति के लिए समाज में इतना खुलापन आ चुका है कि दैहिक संबंधों में न उम्र आड़े आ रही है और न ही आपसी रिश्ते। कहीं सास अपने दामाद के साथ व्याभिचार में लिप्त है तो कहीं सगे कहे जाने वाले भाई बहन, बुआ भतीजे, ससुर बहु सहित अनेक रिश्ते भी कलंक की कथा लिखने में पीछे नही रह गए हैं। इंदौर के राजा रघुवंशी हों या मेरठ के सौरभ राजपूत, दोनों का कसूर केवल यही तो था कि एक की सोनम बेवफा हो गई और दूसरे की मुस्कान। समाज में न जाने कितनी ही ऐसी मुस्कान, सोनम और निकिता है, जिनकी बेवफाई से अनेक निर्दोष पति अपनी जान गंवाने के लिए विवश हो रहे हैं। मनोविज्ञानियों व समाजशास्त्रियों के लिए यह गंभीर चिंतन का विषय है, कि समाज किस दिशा में अग्रसर हो रहा है क्या विवाह जैसी संस्था का अस्तित्व चरमराने लगा है क्या नारी के सशक्तिकरण में इस प्रकार के आचरण को स्वीकारा जा सकता है। क्या हत्या हत्या की साजिश जैसे कृत्यों के चलते अपराधी युवतियाँ किसी प्रकार की दया या संवेदना की पात्र हैं नित्य ही ऐसी ऐसी घटना घटनाओं की पुनरावृत्ति प्रकाश में आरही है। *इन्हीं घटनाओं को देखते और सुनते सुनते कुछ नकारात्मक व विपरीत विचार शैली वाले युवक युक्तियां में इस प्रकार की कृत्य करने के बीच पड़ते नजर आ रहे हैं, जिसमें अभी हाल ही में देखने में आया है सोशल मीडिया फेसबुक पर गुना मध्य प्रदेश की एक युबती अपनी पोस्ट मैं पितृसत्तात्मक समाज की निंदा करते हुए सोनम रघुवंशी का सपोर्ट करते नजर आ रही है यह भी समाज के लिए एक गंभीर चिंतन का विषय है
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