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जिस तिथि का कभी क्षय नहीं होता वही अक्षया कहलाती है- कैलाश मंथन

जिस तिथि का कभी क्षय नहीं होता वही अक्षया कहलाती है- कैलाश मंथन

अक्षय तृतीया पर पुष्टिमार्गीय केंद्रों पर हुए विशेष मनोरथ

निशुल्क गीता वितरण के साथ मनायी गई अक्षय तृतीया


गुना। अंचल में अक्षय तृतीया का पर्व उत्साह पूर्वक मनाया गया। पुष्टिभक्ति केंद्रों पर नाम संकीर्तन, जाप एवं विशेष मनोरथ सिद्ध किए गए। इस अवसर पर विराट हिन्दू उत्सव समिति के संस्थापक कैलाश मंथन ने अक्षय तृतीया पर चिंतन हाउस में आयोजित वार्ता प्रसंग में कहा कि बैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। यह सनातन धर्मियों का प्रधान त्यौहार है। वहीं भगवान परशुराम का चरित्र भारतवासियों को यह संदेश प्रदान करता है कि राष्ट्र और धर्म की रक्षार्थ हमें शास्त्र के साथ शस्त्र विद्या में भी निपुण होना जरूरी है। जब भी अत्याचारी शासक प्रजा पर अत्याचार करते हैं तब अलौकिक सत्ता के रूप में भगवान अंशावतार लेकर दुष्टों का दमन करते हैं। भगवान परशुराम ने शास्त्र के साथ शस्त्र विद्या में भी परम कौशल प्रदर्शित किया। श्री मंथन ने कहा कि इस दिन दिए हुए दान आदि शुभ कर्मों का फल अनंत होता है, सभी अक्षय हो जाते हैं। इसी से इसका नाम अक्षया हुआ है। भविष्य पुराण में कहा है 'तत् सर्वमक्षयं यस्मात् तेनेयमक्षया स्मृता' । चिंतन हाउस सर्राफा बाजार में चिंतन गोष्ठी में कैलाश मंथन ने बताया इस तिथि को भगवान नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव अवतार हुए थे, इसलिए इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है तथा इसी दिन त्रेतायुग भी आरंभ हुआ था। अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहुर्त है इसलिए इस दिन सफलता की आशा से नवीन संस्थान, संस्था एवं समाज आदि का उदघाटन, भविष्य का ज्ञान एवं सांसरिक व्यवाहरिक कर्म प्रारंभ किए जा सकते हैंं। इस अवसर पर विभिन्न केन्द्रों नारी शक्ति चिंतन मंच अंतर्राष्ट्रीय गीता प्रचार मिशन भारत  के  तहत निशुल्क गीता जी की प्रतियां वितरित की गई।


 2 मई को शंकराचार्य  जयंती पर चिंतन गोष्ठी आयोजित*

*चिंतन मंच के तहत 2एवं3मई को आदि शंकराचार्य जी,रामानुजाचार्य जी एवं सूरदास जी की जयंती पर केंद्रित विचार गोष्ठी होगी। संयोजक कैलाश मंथन के मुताबिक वैदिक धर्म के उत्थान, सनातन धर्म के प्रचार एवं भारतवर्ष की धार्मिक एकता अखंडता के लिए श्री शंकराचार्य जी द्वारा किए गए कार्यों पर चिंतन किया जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक चिंतन मंच एवं विराट हिन्दू उत्सव समिति के माध्यम से भारतवर्ष के सभी अवतारों, महापुरूषों, पर्वों एवं उत्सवों का तथ्यात्मक परिचय युवा पीढ़ी एवं भावी पीढ़ी को हो, इस मकसद से चिंतन, विचार गोष्ठियों की श्रृृंखला चलाई जा रही है।

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