संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती बनाकर दिया सामाजिक समरसता का संदेश।
संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती बनाकर दिया सामाजिक समरसता का संदेश।
केन्द्र के बच्चों को दिया उपहार
गुना-मां सरस्वती सेवा धाम एवं मंशा पूर्ण प्लाटेश्वर महादेव मंदिर श्रीराम कालोनी मालपुर रोड़ तीन टावर के पास भक्त शिरोमणि संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती सामाजिक समरसता के रूप में मनाई गयी। संगोष्ठी का प्रारंभ उपस्थित कविओं देवेन्द्र उपाध्याय ने मां सरस्वती,भोले नाथ एवं संत शिरोमणि रविदास के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित एवं माल्यार्पण संगोष्ठी प्रारंभ की गयी। मंचासीन कवियों को जमुना लाल जी,मोहन जी, नरेन्द्र जी,धर्मेंद्र जी,रामकुमार जी, श्रीमती सुनीता ब्रह्मभट्ट ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।
कवि संगोष्ठी की अध्यक्षता गुना के वरिष्ठ कवि विष्णु श्रीवास्तव साथी जी ने की। जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट द्वारा प्रभु जी तुम चंदन हम पानी भजन प्रस्तुत किए।कुशाग्र ब्रह्मभट्ट द्वारा मन चंगा कटोती में गंगा वाला प्रेरक प्रसंग सुनाया।विशिष्ट अतिथि के रूप में हरीश सोनी, श्रीमती सन्तोष ब्रह्मभट्ट एवं कीर्ति मोरोलिया, ब्रजराज गौतम रहे। संगोष्ठी का संचालन प्रेम सिंह प्रेम ने किया।कीर्ति मोरोलिया ने पावन पावन धरा पर आज वसंत आगमन है।
श्रीमती सन्तोष ब्रह्मभट्ट ने वो दिल के पास होते है जिगर के साथ होते है मुशिवत में काम आये वो रिश्ते खाश होते है।
हरीश सोनी संतो की सेवा पूजा में था जिनका मन साधरण सा फक्कड़ था जिनका जीवन।उन संत शिरोमणि रैदास जी को शत् शत् नमन। प्रेम सिंह प्रेम ने मां को समर्पित रचना प्रस्तुत की। संगोष्ठी के अध्यक्षता कर रहे विष्णु श्रीवास्तव साथी ने कहा कि संत शिरोमणि थे रविदास जी। आभार व्यक्त करते हुए जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि मैं मां को हरवाय हूं। जितेन्द्र मेरो नाम।वे कर रही सब काम मेरो हो रहो नाम। समाज सेवी प्रकाश जैन द्वारा केन्द्र के बच्चों के लिए पेन्सिल और लिखने बोल पेन उपहार स्वरूप मुख्य अतिथि द्वारा दिए गये।इस अवसर पर रतन,सुमित्रा, कन्या जी,महेश जी,प्रखर प्रखर स्वामी विवेकानंद एवं डॉ एस एन सुब्बाराव बाल संस्कार केन्द्र के कुशाग्र, पुष्कर, आयुश, महक इशिका, रूही, देवांश, माही, लवाशिका,तनु,मीनाक्षी, मोलिसका, वैदिका, राधिका, परी, नमिश, संजू, आदि उपस्थित रहे।
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