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शर्मिंदा हुआ शहर, मरा सुअर और गंदगी को देखकर भूखे लौटे निर्यापक मुनिश्री

नगरपालिका: शर्मिंदा हुआ शहर, मरा सुअर और गंदगी को देखकर भूखे लौटे निर्यापक मुनिश्री

जन्मदिन पर भी नहीं करा पाए आहार, जैन समाज ने प्रशासन पर लगाया प्रताडऩा का आरोप


गुना- सोमवार का दिन गुना शहर के लिए शर्म और कलंक से भरा काला अध्याय साबित हुआ। नगर पालिका की लापरवाह सफाई व्यवस्था ने उस समय पूरे शहरवासियों का सिर झुका दिया, जब चातुर्मासरत ज्येष्ठ निर्यापक मुनिश्री योगसागर महाराज को गंदगी के कारण बिना आहार किए ही लौटना पड़ा। यह दुखद घटना उस दिन हुई जब मुनिश्री का जन्मदिन था और श्रद्धालु बड़े उत्साह से उन्हें आहार कराने के लिए विधि-विधान से ले जा रहे थे। लेकिन चौधरी मोहल्ला क्षेत्र में रास्ते में मरा सुअर और गंदगी देखकर मुनिश्री ने आहार स्वीकार नहीं किया और रास्ते में से ही भूखे ही लौट आए। इस बारे में जैन समाज अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि मुनिश्री का आहार (भोजन) अब बुधवार को होगा। क्योंकि तीन दिन आहार करने के बाद चौथे दिन मुनिश्री उपवास करते हैं। ऐसे में सोमवार को तीसरे दिन आहार नहीं हुआ और चौथे दिन मंगलवार को उपवास रहेगा। अब बुधवार को मुनिश्री लगभग 72 घंटे बाद आहार हो पाएंगे। वो भी तब जब मुनिश्री को उनकी प्रतिज्ञा अनुसार विधि मिलेगी और शहर में कोई गंदगी या मरा जीव नहीं दिखेगा।

उल्लेखनीय है कि शहर में इस बार निर्यापक मुनिश्री योगसागरजी महाराज 12 मुनिराजों के साथ चातुर्मास कर रहे हैं। आचार्य विद्यासागरजी महाराज के गृहस्थ जीवन के सगे भाई और दिगंबर जैन धर्म के श्रेष्ठ संत माने जाने वाले निर्यापक मुनिश्री योगसागर का गुना में चातुर्मास होना पूरे जिले के लिए सौभाग्य माना जा रहा है। लेकिन नगर पालिका की बदइंतजामी और गंदगी ने साधु-संतों के साथ ही पूरे जैन समाज को आहत किया है।

प्रवचन में छलका मुनिराज का दर्द

घटना के बाद प्रवचन के दौरान संघस्थ मुनिराज निरामय सागरजी महाराज का दर्द भी छलक उठा। उन्होंने साफ कहा कि जब साधु सुबह जंगल या शुद्धि के लिए निकलते हैं तो रास्तों पर बिखरी गंदगी देखकर मन भी अशुद्ध हो जाता है। उन्होंने कहा कि आचार्यों ने कहा हैं कि जैसे हम अपने घर के भीतर की शुद्धि करते हैं वैसे ही वास्तु के अनुसार घर के बाहर द्वार के पांच फुट तक क्षेत्र को भी स्वच्छ रखना चाहिए। लेकिन गुना शहर की हालत देखकर लगता है कि प्रशासन ने आंखें मूंद ली हैं।

समाज का फूटा आक्रोश

मुनिश्री के भूखे लौटने की घटना ने जैन समाज ही नहीं बल्कि पूरे शहर को झकझोर दिया। श्रद्धालुओं का कहना है कि साधु-संतों को प्रताडि़त किया जा रहा है। कई बार पत्र लिखने और शिकायत करने के बाद भी नगर पालिका ने चौधरी मोहल्ला सहित बड़े जैन मंदिर क्षेत्र में सफाई व्यवस्था सुधारने की जहमत नहीं उठाई।

जैन समाज का पत्र- हमें प्रताडि़त किया जा रहा है

सकल दिगंबर जैन समाज ने जिलाधीश को पत्र लिखकर नगर पालिका और पुलिस प्रशासन पर प्रताडऩा का आरोप लगाया है। पत्र में लिखा गया कि सुबह साधु 6:30 बजे जंगल और 10 बजे आहारचर्या के लिए निकलते हैं, लेकिन गंदगी और जाम के कारण उन्हें बिना भोजन किए लौटना पड़ रहा है। मंदिर के आगे लोग हॉर्न बजाते हैं, भीड़ और जाम लगे रहते हैं, जिससे साधुओं को असुविधा हो रही है। समाज ने स्पष्ट कहा कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं बनाई। पत्र में नगर के प्रमुख सात स्थानों बड़ा जैन मंदिर चौधरी मोहल्ला, ख्यावदा चौराहा, चौधरन कॉलोनी, लालाजी का बाड़ा, पठार मोहल्ला, सदर बाजार और हाट रोड में सफाई और यातायात व्यवस्था तत्काल सुधारने की मांग की गई है।

नगर पालिका पर उठे सवाल

घटना के बाद से ही शहरवासियों का आक्रोश नगर पालिका पर फूटा। लोग साफ कह रहे हैं कि नगर पालिका अब नगरपालिका नहीं, बल्कि नरकपालिका बन चुकी है। संत-मुनियों को जिस दिन जन्मदिन पर भी आहार तक न मिल पाए, उससे बड़ी लापरवाही और असंवेदनशीलता और क्या हो सकती है। यह घटना प्रशासन की नाकामी और शहर की दुर्दशा का जीता-जागता सबूत है। सवाल यह है कि क्या गुना नगर पालिका अब भी अपनी जिम्मेदारी निभाएगी या शहरवासी और साधु-संत इसी गंदगी और बदइंतजामी के बीच त्रस्त रहेंगे?

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